उत्तराखण्डकुमाऊं,

पंतनगर यूनिवर्सिटी में 15 घंटे में दो सुसाइड अटेम्प्ट, एक छात्र की मौत; पांच साल में चौथी आत्महत्या से सवालों के घेरे में प्रशासन

पंतनगर न्यूज़- उत्तराखंड की पंतनगर यूनिवर्सिटी एक बार फिर छात्र आत्महत्याओं को लेकर सवालों के घेरे में आ गई है। मात्र 14–15 घंटे के भीतर दो छात्रों द्वारा फंदा लगाकर आत्महत्या की कोशिश करने की घटनाओं ने कैंपस में सनसनी फैला दी है। इनमें से एक छात्र की मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है।

 

 

पहला मामला: अंतिम वर्ष के छात्र ने की सुसाइड की कोशिश

रविवार देर रात करीब 10:30 बजे विश्वसरैया भवन के कमरा नंबर 61 में बीटेक इलेक्ट्रिकल फाइनल ईयर का छात्र विवेक आर्य ने फंदा लगाकर सुसाइड की कोशिश की।

 

साथी छात्रों ने संदिग्ध स्थिति देखकर दरवाजा तोड़ा और उसे नीचे उतारकर वार्डन व अधिष्ठाता छात्र कल्याण को सूचना दी।

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उसे पहले यूनिवर्सिटी अस्पताल और फिर रुद्रपुर रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी जान बचा ली। फिलहाल उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

 

 

पंतनगर थाना SHO नंदन सिंह रावत ने कहा कि “एक ही दिन में दो ऐसे मामले आना बेहद गंभीर और चिंताजनक है।”

 

 

दूसरा मामला: परीक्षा के दिन मिला शव

इससे लगभग 12 घंटे पहले रजत जयंती छात्रावास में बीटेक तृतीय वर्ष के छात्र अक्षत सैनी का शव उसके कमरे में फंदे से लटका मिला। मौके से छात्र की डायरी और मोबाइल बरामद हुआ, लेकिन कोई सुसाइड नोट नहीं मिला।

 

 

सूत्रों के अनुसार, अक्षत लंबे समय से मानसिक तनाव और उलझनों से जूझ रहा था। वह अपनी डायरी में रोजमर्रा की बातें और खुद से सवाल-जवाब लिखता था। यह मानसिक असमंजस धीरे-धीरे उसे भीतर से तोड़ रहा था।

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सोमवार सुबह 9:30 बजे उसकी मेकअप परीक्षा थी। साथी छात्र जब उसे बुलाने पहुंचे, तभी यह हादसा सामने आया।

 

 

पांच वर्षों में चौथी आत्महत्या, फिर भी नहीं बनी काउंसलिंग व्यवस्था

अक्षत की मौत के बाद एक बार फिर विश्वविद्यालय की छात्र कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

 

पिछले पांच वर्षों में कैंपस में चार छात्रों की आत्महत्या हो चुकी है।

 

 

बीते 12 सितंबर को किच्छा निवासी नीरज की आत्महत्या के बाद भी विश्वविद्यालय ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया था, जबकि कैंपस स्तर पर काउंसलिंग सेंटर की मांग लंबे समय से चल रही है।

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प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

घटनाओं के बाद भी यूनिवर्सिटी प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान का फोन लगातार बंद आ रहा है।

दैनिक भास्कर ने यूनिवर्सिटी के डीन और हॉस्टल वार्डन से बात करने की कोशिश की, लेकिन दोनों ने मामले पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया।

 

 

जांच जारी, मॉनिटरिंग कड़ी करने के निर्देश

अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. आनंद सिंह जीना और डॉ. राजीव रंजन घटनाओं की जांच और छात्र सहायता से जुड़े प्रयासों में लगे हुए हैं।

 

विश्वविद्यालय प्रशासन ने हॉस्टल मॉनिटरिंग बढ़ाने और कैंपस में मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग व्यवस्था मजबूत करने के निर्देश जारी किए हैं।