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उत्तराखंड निकाय चुनाव- टिकट की दौड़ में शामिल रहे नेताओं को साधने में जुटी भाजपा, सामने आ रही ये चुनौती

  • सांसदों, विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपने जा रही पार्टी
  • निकाय चुनाव निकट भविष्य में होने वाले पंचायत चुनाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण

देहरादून न्यूज़- निकाय प्रमुखों के साथ ही पार्षद व सभासद पदों पर टिकट वितरण के बाद भाजपा अब उन नेताओं व कार्यकर्ताओं को साधने में जुट गई है, जो काफी समय से टिकट के लिए अपनी दावेदारी के मजबूत आधार गिना रहे थे। ऐसे में कहीं असंतोष के सुर न उभरें और पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी की जीत के लिए सभी एकजुटता से प्रयास करें, यह चुनौती भी पार्टी नेतृत्व के सामने है।

 

वैसे भी निकाय चुनाव निकट भविष्य में होने वाले पंचायत चुनाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इस सबको देखते हुए जमीनी स्तर पर कार्य शुरू कर दिया गया है, ताकि आपसी राजनीतिक खींचतान जल्द से जल्द दूर हो जाए। इसके लिए जिले से लेकर प्रांत तक के नेटवर्क को सक्रिय किया गया है। सांसदों व विधायकों के साथ ही वरिष्ठ नेताओं को इस दृष्टि से जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।

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उत्तराखंड का परिदृश्य देखें तो वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से भाजपा यहां निरंतर विजयरथ पर सवार है। पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनावों के साथ ही नगर निकायों में भी पार्टी का दबदबा रहा है। अब जबकि राज्य में सौ नगर निकायों में चुनाव हो रहे हैं तो पार्टी इसी मंशा से आगे बढ़ रही है कि वह अपने पिछले प्रदर्शन से कहीं आगे जाए। यानी, प्रत्येक नगर निकाय में उसके बोर्ड गठित हों। इसी के दृष्टिगत पार्टी ने अपनी तैयारियां भी की हैं।

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निकाय प्रमुखों और पार्षद, सभासद पदों पर प्रत्याशी चयन के लिए पैनल तैयार करने को पार्टी ने सभी निकायों में पर्यवेक्षक भेजे। साथ ही एक एजेंसी के माध्यम से दावेदारों की जमीनी स्थिति आंकने को सर्वे भी कराया।

 

पर्यवेक्षकों व सर्वे रिपोर्ट के आधार पर पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने पैनल तैयार किए और फिर प्रदेश चुनाव समिति ने मंथन के बाद प्रत्याशी घोषित किए। अभी तक पार्टी 82 निकायों के अध्यक्ष पदों के लिए प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। पार्षद व सभासद पदों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा का जिम्मा पार्टी के जिलाध्यक्षों को सौंपा गया है।

 

नगर निगमों में महापौर पदों के लिए प्रत्याशी रविवार को घोषित किए जाने की संभावना है। इस सबके साथ ही पार्टी को यह भी चिंता सालने लगी है कि टिकट वितरण के बाद कहीं भी असंतोष के सुर न उभरें। इसे देखते हुए डैमेज कंट्रोल के तहत टिकट की दौड़ में शामिल रहे दावेदारों को साधने के जतन भी शुरू कर दिए गए हैं।

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प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार टिकट न मिलने से कुछ देर के लिए नाराजगी स्वाभाविक है, लेकिन यह स्थायी रूप न ले। इसी के दृष्टिगत हर स्तर पर संवाद किया जा रहा है, ताकि कहीं भी असंतोष जैसी बात न रहे और सभी पूरी एकजुटता के साथ निकायों में परचम फहराएं। इस कड़ी में वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है।