उत्तराखण्डकुमाऊं,

हल्द्वानी न्यायालय, एसडीएम कोर्ट व तहसील कार्यालय में कार्य बहिष्कार पर रहे अधिवक्ता, अधिवक्ता संशोधन अधिनियम वापस लेने की उठाई मांग

हल्द्वानी न्यूज़- अधिवक्ताओं ने अधिवक्ता संशोधन अधिनियम के विरोध में शुक्रवार को कार्य बहिष्कार कर प्रदर्शन किया। उन्होंने विधि एवं कानून मंत्री को ज्ञापन भेजकर शोध संशोधन वापस लेने की मांग की। अधिवक्ताओं का कहना है कि अगर संशोधन को वापस नहीं लिया गया तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने को बाध्य होगे। अधिवक्ताओं को हडताल से कामकाज को न्यायालय पाहुंचे लोगों को कार्य नहीं हुए और उन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ा।

 

 

शुक्रवार को हल्द्वानी बार संघ के पदाधिकारियों के नेतृत्व में दीवानी न्यायालय, एसडीएम कोर्ट और तहसील कार्यालय में अधिवक्ताओं ने प्रदर्शन किया। उन्होंने यहां केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाकर आक्रोश प्रकट किया। अधिवक्ताओं ने कहा कि वे लगातार संशोधन अधिनियम का विरोध कर रहे हैं। अधिवक्ता संशोधन अधिनियम केंद्र सरकार को बार काउंसिल, अधिवक्ता और बार संघों पर नियंत्रण करने का अबाध अधिकार प्रदान करता है, जो अधिवक्ताओं और विधि व्यवसाय के विपरीत है।

यह भी पढ़ें 👉  हल्द्वानी- यहाँ कांग्रेस ने निकाली जनाक्रोश रैली, प्रदेश सरकार पर हमलावर हुए ये दिग्गज नेता, इन मुद्दों पर हल्ला बोल

 

नए संशोधन अधिनियम में स्वतंत्र विधि व्यवसाय के कार्यों में दंड के जमाने के अधीन किए जाने का प्रावधान भी रखा गया है। इससे विधि व्यवसाय पर विपरीत असर पड़ेगा उन्होंने कहा कि अगर सरकार अधिवक्ता संशोधन अधिनियम को बिना शर्त वापस नहीं लेती और अधिवक्ता हितों को नजर अंदाज कर विधायक को पारित करती है तो वह सड़कों पर उतरकर आंदोलन को बाध्य होंगे।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड - डीएम का बड़ा फैसला, शहर के प्रमुख व्यस्त्तम 06 चौराहों पर जुलूस-प्रदर्शन पर प्रतिबंध, आदेश जारी

 

अधिवक्ताओं की ये हैं मांग

▪️अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 को बिना शर्त वापस लिया जाए।

▪️केंद्र सरकार को अनावश्यक हास्तक्षेप से दूर रखा जाए।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड- यहाँ ट्रक से टकराई निजी बस, छ: लोग घायल, घायलों को कराया अस्पताल में भर्ती।

▪️बीसीआई और राज्य बार काउंसिलों की स्वायत्ता सुरक्षित रखी जाए।

▪️अधिवक्ताओं के कानूनी प्रैक्टिस और विरोध के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाए।

▪️कानूनी समुदाय में सामाजिक और आर्थिक न्याय सुरक्षित किया जाए।

▪️बार काउंसिलों में अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं और हाशिए पर मौजूद समूहों को आरक्षण दिया जाए।

▪️विदेशी विधि फार्मो और वकीलों के असीमित प्रदेश पर रोक लगाई जाए।