उत्तराखंड- यहाँ सरकारी स्कूल में बच्चों से मजदूरी करवाने का मामला: शिक्षिका सस्पेंड, 30 दिन में जांच रिपोर्ट तलब

देहरादून न्यूज़– राजधानी देहरादून के एक सरकारी स्कूल से मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। राजकीय प्राथमिक विद्यालय बांध विस्थापित बंजारावाला में छोटे-छोटे बच्चों से स्कूल समय के दौरान रेत-बजरी उठवाने और फावड़ा चलवाने जैसे मजदूरी के कार्य करवाए जा रहे थे। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।
यह मामला तब उजागर हुआ जब 6 अक्टूबर 2025 को एक वीडियो देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल के पास पहुंचा। वीडियो में स्कूल परिसर के भीतर बच्चों को मजदूरों की तरह मिट्टी उठाते और काम करते हुए देखा गया, जबकि स्कूल स्टाफ कहीं नजर नहीं आया। इस घटना के बाद यह सवाल उठने लगे कि आखिर किस शिक्षिका की निगरानी में यह सब हो रहा था और स्कूल प्रशासन ने इसे रोकने की कोशिश क्यों नहीं की।
मामला सामने आने के तुरंत बाद जिलाधिकारी सविन बंसल ने जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को कार्रवाई के निर्देश दिए। निर्देशों के बाद जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक, प्रमिला भारती ने तत्काल प्रभाव से संबंधित शिक्षिका को निलंबित कर दिया और विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए। उप शिक्षा अधिकारी रायपुर को जांच अधिकारी नामित किया गया है, जिन्हें 30 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) देहरादून, विनोद कुमार बडोनी ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा कि विद्यालय परिसर में बच्चों से किसी भी प्रकार का श्रम कराया जाना शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act) का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि बच्चों से इस तरह का कार्य करवाना अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है और इसके लिए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।
सीईओ कार्यालय से जारी आदेश (पत्र क्रमांक 12650/54 दिनांक 6 अक्टूबर 2025) में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि विद्यालय की सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन समिति या सहायक स्टाफ की होती है, विद्यार्थियों की नहीं। बच्चों से सफाई या मजदूरी करवाना उनके अधिकारों का हनन है।
इसके साथ ही सभी ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के स्कूलों का निरीक्षण करें और यह सुनिश्चित करें कि किसी भी विद्यालय में विद्यार्थियों से गैर-शैक्षणिक कार्य न कराया जाए।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि इस तरह की घटनाएं शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में यदि किसी भी स्कूल में इस प्रकार की गतिविधि पाई गई तो संबंधित प्रधानाध्यापक (हेड टीचर) और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के विरुद्ध भी प्रत्यक्ष कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में प्रशासन “शून्य सहिष्णुता नीति” अपनाएगा।
यह घटना न केवल शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए शिक्षा विभाग को और सतर्क रहने की आवश्यकता है।

