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उत्तराखंड में शुरू हो गई जनगणना की तैयारी, अप्रैल में होगा पहला चरण, कब तक सामने आएं अंतिम आंकड़े जाने

- जनगणना कार्य निदेशालय से शुरू की तैयारी, दिसंबर से कार्मिकों को मिलने लगेगा प्रशिक्षण
- पहली बार पूरी तरह डिजिटल होगी जनगणना, माहभर में सामने आएंगे अंतिम आंकड़े
देहरादून न्यूज़- उत्तराखंड में जनगणना की तैयारी शुरू कर दी गई है। केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर दिए जाने के क्रम में राज्य का जनगणना कार्य निदेशालय जनगणना के मोड में आ गया है। जनगणना का पहला चरण अप्रैल 2026 में शुरू कर दिया जाएगा।
इसके लिए कार्मिकों को प्रशिक्षण देने का क्रम इसी वर्ष दिसंबर माह से शुरू होगा। यह पहली ऐसी जनगणना होगी, जो पूरी तरह डिजिटल फार्मेट में होगी। जिससे जनगणना के अंतिम आंकड़े माहभर के भीतर मिल सकेंगे।
जनगणना कार्य निदेशालय के संयुक्त निदेशक शैलेंद्र सिंह नेगी के अनुसार दिसंबर माह में आंतरिक प्रशिक्षण शुरू किया जाएगा। जिसमें नेशनल ट्रेनर से लेकर मास्टर ट्रेनर, फील्ड ट्रेनर और इसके बाद प्रगणकों, सुपरवाइजरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रगणक और सुपरवाइजर ही घर घर जाकर गणना करेंगे।
प्रशिक्षण के बाद वर्ष 2026 में अप्रैल से जून माध्यम तक किसी भी 45 दिन की अवधि में मकान सूचीकरण और मकानों की गणना की जाएगी। यह जनगणना का पहला चरण होगा। वहीं, वर्ष 2027 में 09 से 28 फरवरी के बीच घर घर जनगणना के विस्तृत आंकड़े जुटाए जाएंगे।
चूंकि, फरवरी माह में उत्तराखंड के कई स्थानों पर बर्फ जमी रहती है, लिहाजा 150 के आसपास गांवों और तीन नगरों में जनगणना का विस्तृत चरण वर्ष 2026 में 11 सितंबर से 30 सितंबर के बीच पूरा कर दिया जाएगा। जनगणना में करीब 28 हजार कार्मिक लगाए जाएंगे। वहीं, 2011 की जनगणना में 24 हजार के आसपास कार्मिकों की ड्यूटी लगाई गई थी।
जनगणना कार्य निदेशालय के संयुक्त निदेशक शैलेंद्र सिंह के अनुसार पहले चरण में मकानों का ब्यौरा दर्ज करते हुए मुखिया का नाम और भवनों की स्थिति दर्ज की जाएगी। जैसी मकान कच्चा है या पक्का और वहां सुविधाओं की स्थिति क्या है। वहीं, मुख्य जनगणना में मुखिया के साथ ही परिवार के सभी सदस्यों की व्यक्तिगत जानकारी, उनकी शैक्षिक योग्यता आदि का विवरण दर्ज होगा।
पहले प्रगणक और सुपरवाइजर घर घर जाकर फार्म भरते थे। फिर उस शीट को स्कैन कर अलग अलग कोड में आंकड़े जारी किए जाते थे। अब जनगणना मोबाइल एप से की जाएगी। जिससे माहभर में ही अंतिम आंकड़े जारी किए जा सकेंगे।
इस बार जातिगत जनगणना का भी निर्णय लिया गया है। यह गणना मुख्य गणना के साथ कुछ अतिरिक्त सवाल जोड़कर की जाएगी। हालांकि, अभी यह तय नहीं किया जा सका है कि जातिगत जनगणना के लिए क्या सवाल पूछे जाने हैं।
उत्तराखंड में जनगणना की अब तक की तस्वीर
वर्ष | जनसंख्या |
दशकीय वृद्धि |
1971 | 44,92,744 | लागू नहीं |
1981 | 5725972 | 27.44 प्रतिशत |
1991 | 7050634 | 23.13 प्रतिशत |
2001 | 8489349 | 20.40 प्रतिशत |
2011 | 10086292 | 18.81 प्रतिशत |
जनगणना प्रत्येक 10 वर्ष के अंतराल पर होती है। वर्ष 2011 के बाद यह 2021 में प्रस्तावित थी। तब कोरोना संक्रमण के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। अब करीब चार वर्ष बाद फिर से जनगणना की तैयारी शुरू की जा चुकी है।
