उत्तराखंड- फर्जी आय प्रमाण पत्र से RTE में दाखिला! हल्द्वानी में 17 मामलों का खुलासा, अब पूरे प्रदेश में जांच के आदेश

देहरादून/हल्द्वानी- शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत प्रवेश दिलाने के लिए हल्द्वानी ब्लॉक में 17 फर्जी आय प्रमाण पत्र सामने आने के बाद शिक्षा विभाग सतर्क हो गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने प्रदेश के सभी जिलों में RTE के अंतर्गत दाखिल आवेदनों में आय प्रमाण पत्रों की जांच के निर्देश दिए हैं।
शिक्षा महानिदेशक ने स्पष्ट किया कि जिन अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र जांच में फर्जी पाए जाएंगे, उनके प्रवेश तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए जाएंगे। वहीं, वास्तव में पात्र विद्यार्थियों को प्रवेश दिलाने की कार्रवाई की जाएगी।
🔹 जांच का आदेश, जिलाधिकारियों से सहयोग की अपील
दीप्ति सिंह ने बताया कि हल्द्वानी ब्लॉक में आय प्रमाण पत्रों की प्रारंभिक जांच में 17 प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे। इसके बाद समूचे प्रदेश में विशेष जांच अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को अपने जिलों में आरटीई के अंतर्गत हुए सभी दाखिलों में आय प्रमाण पत्रों की जांच करने को कहा है। साथ ही तहसील स्तर पर जारी प्रमाण पत्रों की जांच के लिए जिलाधिकारियों से भी सहयोग मांगा गया है।
गौरतलब है कि प्रमुख दैनिक अखबार ने 13 जुलाई के अंक में “मुफ्त शिक्षा के लिए फर्जीवाड़ा: आय के जाली प्रमाण पत्र पकड़े गए” शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इस खबर के प्रकाशन के बाद नैनीताल जिला प्रशासन हरकत में आया और तत्काल जांच के आदेश जारी किए। जांच में 17 प्रमाण पत्र फर्जी निकले, जिस पर एसडीएम हल्द्वानी द्वारा संबंधित अभिभावकों पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दिए जा चुके हैं।
🔹 क्या वंचित बच्चों को मिलेगा न्याय?
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत निजी स्कूलों में 25% सीटें वंचित और कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित होती हैं। इन सीटों पर दाखिला पाने वाले बच्चों को कक्षा 8 तक निःशुल्क शिक्षा दी जाती है, जिसका पूरा खर्च सरकार उठाती है। सामान्य वर्ग के अभिभावकों के लिए वार्षिक आय सीमा ₹55,000 निर्धारित है।
लेकिन अब सामने आया फर्जीवाड़ा इस व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है। जिन अमीर परिवारों ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे गरीबों का हक छीना है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है। विभागीय जांच और प्रशासनिक कार्रवाई के बाद उम्मीद है कि वंचित वर्ग के बच्चों को उनका संवैधानिक हक मिल पाएगा।
