उत्तराखंड में जल्द हो सकता है मंत्रिमंडल का विस्तार, मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाएं एक बार फिर से जोरो पर
- उत्तराखंड में जल्द हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार
- मुख्यमंत्री के पास अतिरिक्त जिम्मेदारियां
- जानें क्या है विधायकों की उम्मीदें समीकरण
उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाएं एक बार फिर से जोर पकड़ चुकी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद से इन चर्चाओं को बल मिला है।
उत्तराखंड में कई कैबिनेट मंत्रियों के पद खाली हैं, जिसके चलते यह मुद्दा लगातार चर्चा में बना हुआ है। दो सीटों पर उपचुनाव के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना प्रबल हो गई है। वहीं उत्तराखंड के परिवहन मंत्री चंदन राम दास के निधन के बाद से परिवहन विभाग समेत कई अन्य विभागों की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास है। वर्तमान में कैबिनेट के दो से तीन पद खाली हैं, जिससे मुख्यमंत्री के ऊपर अतिरिक्त जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ गया है. इस कारण मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा ने जोर पकड़ा है।
विधायकों की उम्मीदें समीकरण
आपको बता दें कि मंत्रिमंडल विस्तार की खबरों के बीच कई विधायक अपने-अपने समीकरण बिठाने में जुट गए हैं ताकि मंत्री की कुर्सी हासिल कर सकें। भारतीय जनता पार्टी के सीनियर कार्यकर्ताओं में भी उत्साह है कि शायद उन्हें राज्य मंत्री बनने का मौका मिल जाए। इस बीच, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात ने इन चर्चाओं को तेज कर दिया है. माना जा रहा है कि इस मुलाकात में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा हुई थी।
संभावित नामों की सूची
इसके साथ ही आपको बता दें कि अगर उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार होता है, तो किन विधायकों को मौका मिल सकता है, इस पर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। कुछ नाम पहले से ही चर्चा में हैं, जैसे राम सिंह केड़ा, डॉ0 मोहन सिंह बिष्ट, प्रमोद नैनवाल, बिशन सिंह चुफाल। इसके अलावा भी कई अन्य विधायक हैं जिनकी लॉटरी लग सकती है। प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है सभी की नजरें इस पर टिकी हुई हैं।
संभावित प्रभाव चुनौतियां
साथ ही आपको बता दें कि मंत्रिमंडल विस्तार से सरकार की कार्यक्षमता में सुधार की उम्मीद की जा रही है. नए मंत्रियों के जुड़ने से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी राहत मिलेगी वे अधिक ध्यानपूर्वक काम कर पाएंगे। हालांकि, मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही नई चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं, जैसे कि विधायकों के बीच असंतोष नई नीतियों का समायोजन।