उत्तराखण्डगढ़वाल,

उत्तराखंड- यहाँ कृषि मंत्री गणेश जोशी में जीआई महोत्सव की तैयारियो को लेकर अधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक, राज्य के 18 उत्पादों को जल्द ही मिलेगा जीआई टैग,

देहरादून न्यूज़– राज्य के स्थानीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए पहली बार उत्तराखंड में 17 से 21 नवंबर तक भौगोलिक संकेतांक (जीआई) महोत्सव आयोजित किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी है। जल्द ही राज्य के 18 उत्पादों को जीआई टैग मिलेगा।

सोमवार को कैंप कार्यालय में कृषि मंत्री गणेश जोशी ने जीआई महोत्सव की तैयारियों को लेकर बैठक कर अधिकारियों को समन्वय बनाकर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, कृषि, बागवानी, नाबार्ड, उद्योग, सांस्कृतिक विभाग, सहकारिता, ग्राम्य विकास, पर्यटन विभाग के सहयोग से महोत्सव बनाया जाएगा। जीआई महोत्सव में केंद्र सरकार की ओर से उत्पादों के प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।

यह भी पढ़ें 👉  हल्द्वानी - अब प्लॉट खरीद कर खाली रखने वाले हो जाये सावधान, ऐसा हुवा तो होगी कार्यवाही

मंत्री ने महोत्सव में कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर को शामिल करने के निर्देश दिए। इसके अलावा महोत्सव में छात्र- छात्राओं को जीआई टैग से संबंधित प्रतियोगिता और रैली निकाली जाएगी। इस महोत्सव का आयोजन केंद्र सरकार के जीआई रजिस्ट्री विभाग की ओर से देहरादून में किया जागा।

यह भी पढ़ें 👉  लालकुआं- (बधाई) शांतिपुरी निवासी दीक्षा मेहता का लेखपाल में हुआ चयन।

बैठक में प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे, कृषि एवं उद्यान सचिव दीपेंद्र चौधरी, अपर सचिव महानिदेशक रणवीर सिंह चौहान, महाप्रबंधक नाबार्ड सुमन कुमार, जैविक बोर्ड प्रबंध निदेशक विनय कुमार, जीएमवीएन के महाप्रबंधक विनोद गोस्वामी मौजूद थे।

तेजपात, बासमती चावल, भोटिया दन, ऐपण कला, च्यूरा ऑयल, मुन्स्यारी की राजमा, रिंगाल क्राफ्ट, ताम्र उत्पाद, थुलमा को जीआई टैग मिल चुका है।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड- यहाँ तीर्थयात्रियों को लेकर जा रहा वाहन खाई में गिरा, बाल-बाल बचे सभी तीर्थयात्री।

राज्य के 18 स्थानीय उत्पादों को जल्द ही जीआई टैग मिलेगा। इसके लिए प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसमें मंडुवा, झंगोरा, गहत, लाल चावल, काला भट्ट, माल्टा, चौलाई, रामदाना, अल्मोड़ा की लखौरी मिर्च, पहाड़ी तोर दाल, बुरांश शरबत, आडू, लीची, बेरीनाग चाय, माल्टा, नेटल फाइबर, नैनीताल की मोमबत्ती, कुमाऊंनी पिछौड़ा, चमोली का मुखौटा, काष्ठ कला शामिल हैं।