उत्तराखण्डकुमाऊं,

अल्मोड़ा- (गजब) यहाँ गुलदार द्वारा मारे गए लावारिस बैल के मरते ही पहुंचे कई ‘वारिस’

  • 4 साल से जागेश्वर के अरतोला में लावारिस घूम रहा था बैल
  • 32 हजार 500 रुपये मुआवजा वन विभाग देता है बैल के मरने पर

अल्मोड़ा न्यूज़- जिंदा हाथी लाख का, मरा तो सवा लाख का… यह मुहावरा आम है लेकिन यहां ऐसी स्थिति एक बैल की हो गई है। जिस बैल ने अपने जीवन के आखिरी चार साल लावारिस घूमने में बिताए, गुलदार के हमले में उसकी मौत के बाद उसके कई ‘मालिक’ आ खड़े हुए। इससे वन विभाग भी हैरत में पड़ गया।

 

मामला जागेश्वर के आरतोला गांव का है। इन दिनों यहां एक बैल मौत के बाद चर्चा का विषय बना हुआ है। चार साल पहले यह बैल एक ग्रामीण की गोशाला में था। जुताई के काम में भी इसे लगाया जाता था। उप प्रधान महेंद्र लाल के बताया कि एक दिन बैल ने अपने मालिक को सींग मार दिया, जिससे तैश में आए मालिक ने बैल को गोशाला से निकाल दिया। तभी से यह बैल लावारिस घूमता दिखाई देता था। कुछ दिन पहले गुलदार ने हमला कर उसे मार डाला।

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वन विभाग से नियमानुसार वन्यजीव हमले में पालतू गाय, बैल, भैंस, खच्चर, घोड़ा के मारे जाने पर 32500 रुपये मुआवजा देने का प्राविधान है। बताया जा रहा है कि इस बैल की मौत की भनक लगते ही कुछ दावेदार मुआवजे की फाइल लेकर जंगलात के दफ्तर पहुंच गए। मुआवजे के लिए ग्रामीणों में मारामारी सी हालत हो गई। एक बैल के कई मालिक देख विभाग भी असमंजस में पड़ गया। जांच की तो पता चला कि बैल चार साल से लावारिस घूम रहा था। अब वन विभाग ने किसी को भी मुआवजा देने से इनकार कर दिया है।

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मुआवजे के दावे पर लोगों ने जताया विरोध

स्थानीय लोगों के मुताबिक चार साल से बैल लावारिस घूम रहा था। इस दौरान किसी ने उसकी सुध नहीं ली। गुलदार के हमले में मारे जाने के बाद बैल के कई मालिक सामने आ गए। कुछ ग्रामीणों ने इस तरह की जा रही दावेदारी का विरोध किया। लोगों ने वन विभाग से किसी को भी मुआवजा नहीं देने की मांग की। यहां तक कि लोग विरोध जताते पनुवानौला स्थित वन विभाग के दफ्तर पहुंच गए।

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गुलदार के हमले में बैल की मौत होने के बाद मुआवजे के लिए कई दावेदार पहुंचे थे ग्रामीणों ने इसका विरोध किया था जांच में पता चला की बैल 4 साल से लावारिस घूम रहा था ऐसे में विभाग ने किसी को मुआवजा न देने का निर्णय लिया है। –आशुतोष जोशी वन क्षेत्र अधिकारी जागेश्वर