उत्तराखण्डगढ़वाल,

Earthquake in Uttarakhand: विशेषज्ञों ने चेताया, उत्‍तरकाशी में आ सकता है 7 रिक्टर स्केल से अधिक तीव्रता का भूकंप

  • वाडिया भू-विज्ञान संस्थान के भूकंप विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ.नरेश कुमार बोले सेंट्रल सिस्मिक गैप में आता है क्षेत्र
  • भूकंपरोधी भवन निर्माण पर ध्यान देने की जरूरत

उत्तरकाशी न्यूज़- भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील जोन 4 व 5 में शामिल उत्तरकाशी जनपद में रिक्टर स्केल पर 7 अधिक तीव्रता का भूकंप आ सकता है। यह कहना है कि वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के भूकंप विज्ञान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ.नरेश कुमार का। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र केंद्रीय भूकंपीय अंतराल (सेंट्रल सिस्मिक गैप) में शामिल है।

 

बातचीत में वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ.नरेश कुमार ने बताया कि केंद्रीय भूकंपीय अंतराल, हिमालय का एक ऐसा क्षेत्र है जहां लंबे समय से बड़ा भूकंप नहीं आया है। बताया कि इस क्षेत्र में इससे पूर्व 1905 का कांगड़ा का भूकंप और 1934 में बिहार-नेपाल का भूकंप आया था।

 

वहीं, यहां 1991 में रिक्टर स्केल पर 6.6 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया था, जिसने भारी तबाही मचाई थी। लेकिन उसके बाद से अब कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। ऐसे में इस क्षेत्र में बड़ा भूकंप आने की संभावना बनी हुई है। हालांकि भूकंप की भविष्यवाणी या पूर्वानुमान संभव नहीं है।

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छोटे झटके आते रहे तो बड़ा नहीं आएगा, यह कहना गलत

भूकंप के छोटे झटके आते रहे तो बड़ा नहीं आएगा। इस अवधारणा को वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के भूकंप विज्ञान के प्रमुख वैज्ञानिक वैज्ञानिक डॉ.नरेश कुमार ने गलत बताया है। उनका कहना है कि लगातार आ रहे छोटे भूकंप इस बात का संकेत हैं कि कोई भूकंपीय क्षेत्र कितना ज्यादा सक्रिय है और इस कारण बड़ा भूकंप आने की संभावना हमेशा बनी रहती है।

 

उन्होंने बताया कि पूरा हिमालयी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। इसी कारण इस क्षेत्र में स्थित उत्तरकाशी समेत चमोली व पिथौरागढ़ आदि में लगातार भूकंप के हल्के झटके आ रहे हैं। हिमालयी क्षेत्र में इंडियन प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट की ओर खिसक रही है।

 

इस कारण दोनों प्लेटों के टकराव से इस क्षेत्र में पिछले कुछ समय से भू-गर्भीय हलचल बढ़ी हुई है। इसी वजह से यहां भूकंप के हल्के झटके भी लगातार आ रहे हैं। हल्के झटके इस बात का संकेत हैं कि यह जोन बहुत सक्रिय है। इससे यह भी पता चलता है संबंधित क्षेत्र कि भू-गर्भीय प्लेट पर लगातार दबाव पड़ रहा है। इस दबाव के कारण बड़ा भूकंप आने की संभावना बनी रहती है।

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संवेदनशील जोन 4 व 5 में है उत्तरकाशी

उत्तरकाशी जनपद भूकंप के लिहाज से सर्वाधिक संवेदनशील जोन 4 व 5 में शामिल है। यहां वर्ष 1991 में आए रिक्टर स्केल पर 6.6 तीव्रता के भूकंप के बाद करीब 2 हजार आफ्टरशॉक आए थे। तब से लकर अब तक रिक्टर स्केल पर 100 से अधिक भूकंप के झटके रिकॉर्ड हो चुके हैं। भूगर्भ वैज्ञानिक यहां भूंकप से डरने की बजाए भूकंपरोधी भवन निर्माण को तरजीह देने की सलाह देते रहे हैं।

 

दो साल बाद आए लगातार तीन झटके

शुक्रवार से पहले यहां दो साल पूर्व 4 मार्च 2023 की मध्य रात्रि को भूकंप के तीन झटके महसूस किए गए थे। तब पहला झटका रात 12:40, दूसरा 12:45 व तीसरा 1:01 बजे आया था। उस दौरान भी लोग दहशत में आ गए थे। रात के समय लोगों घरों से बाहर निकल आए थे।

 

भूकंप और भूस्खलन की दिशा में अध्ययन को देंगे गति

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान को नया पूर्णकालिक निदेशक मिल गया है। सीएसआइआर-राष्ट्रीय भू भौतिकीय अनुसंधान हैदराबाद के मुख्य वैज्ञानिक पद पर तैनात रहे वरिष्ठ विज्ञानी डा विनीत गहलोत को यह जिम्मेदारी मिली है। डा गहलोत ने शुक्रवार को विधिवत पदभार ग्रहण करने के साथ ही विज्ञानियों और कार्मिकों से कामकाज की जानकारी प्राप्त की।

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वाडिया के नवनियुक्त निदेशक डा विनीत गहलोत ने वर्ष 1989 और वर्ष 1995 में आइआइटी रुड़की से स्नातकोत्तर और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वह वर्ष 2015 से 2019 तक राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र नई दिल्ली में निदेशक के रूप में सेवा दे चुके हैं। डा गहलोत भूकंप प्रक्रियाओं, टेक्टोनिक भूगणित, भूकंप विज्ञान और भुगतिकी के विशेषज्ञ माने जाते हैं।

 

 

 

अब तक उनके 150 से अधिक शोध प्रकाशित किए जा चुके हैं। पदभार ग्रहण करने के बाद डा विनीत गहलोत ने जागरण से बातचीत में बताया कि वह संस्थान के नाम के अनुरूप हिमालय और उसकी संवेदनशीलता के हिसाब से शोध कार्यों को विस्तार देंगे। भूकंप से लेकर भूस्खलन और जल संरक्षण के साथ ही हिमालय के प्राकृतिक और भूगर्भीय संसाधनों की पहचान, सतत् दोहन के लिए काम करेंगे।

 

नवनियुक्त निदेशक ने कहा कि वही ऐसे विज्ञानियों और शोधार्थियों को बढ़ावा देंगे, जो हिमालय की बेहतरी के लिए अभिनव शोध कार्यों में लगे हैं।