उत्तराखण्डकुमाऊं,

हल्द्वानी बनभूलपुरा अतिक्रमण मामला- सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी पैरवी करने के लिए सरकारी वकीलों को दिया निर्देश

देहरादून न्यूज़– हल्द्वानी के बनभूलपुरा अतिक्रमण प्रकरण जल्द से जल्द  सर्वोच्च न्यायालय में सुना जाए। इसको लेकर सीएम धामी ने स्टैंडिग काउंसिल अधिवक्ताओं से चर्चा की है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दिया है। इस मामले को पिछली तारीख में जस्टिस सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की बेंच ने इसलिए सुनने से इंकार कर दिया था क्योंकि न्यायमूर्ति धूलिया पूर्व में नैनीताल हाई कोर्ट में इस केस में एक पक्ष की तरफ से वकालत कर चुके थे। धूलिया के द्वारा इस केस की सुनवाई से अपने को अलग कर लिए जाने के बाद इसे नई बेंच को अभी सौंपा जाना है।

हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के आसपास बनभूलपुरा गफूर बस्ती में 29 एकड़ भूमि को लेकर विवाद है, रेलवे ,राजस्व , वन, नगर निगम इसे अपनी जमीन बताता है जबकि कब्जेदार इसे अपनी खरीदी हुई जमीन बताते रहे हैं। यह मामला रेलवे की अदालतों से लेकर हाईकोर्ट तक सुना जा चुका है। पिछले साल 20 दिसंबर को नैनीताल हाई कोर्ट ने इसे अतिक्रमण मानते हुए इसे खाली करने के आदेश दिए थे, जिस पर प्रशासन की कारवाई से पहले ही कब्जेदारों ने इस पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले लिया और ये स्टे सुनवाई पूरी होने तक जारी रहेगा।

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इस मामले के सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी पैरवी नहीं होने की वजह से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी सरकार के सर्वोच्च न्यायालय में पैरवी करने वाले वकीलों से नाराजगी भी जाहिर की थी।

सीएम धामी ने इस प्रकरण पर कुछ दिनों पहले रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से भी बात की थी और इस पर रेलवे से प्रभावी पैरवी की अपेक्षा जताई थी, जिसपर रेल मंत्री ने सहमति भी जताई।

जानकारी के मुताबिक रेलवे के अधिवक्ता पैनल ने  इस बारे में अपनी कार्य योजना भी तैयार कर ली है और वे उत्तराखंड के अधिवक्ताओं के साथ संपर्क में हैं। जस्टिस धूलिया द्वारा इस केस की सुनवाई से अपने को अलग कर लिए जाने के बाद यह केस अभी किसी नई बेंच को आबंटित नहीं किया गया है।

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सीएम धामी ने उत्तराखंड के वकील अभिषेक अत्रेय को निर्देशित किया है कि वे इस मामले की सर्वोच्च न्यायालय में प्रभावी पैरवी करें। माना जा रहा है कि क्रिसमस और ईसाई नव वर्ष के अवकाश के बाद  उच्चतम न्यायालय में यह केस एक बार फिर से सूचीबद्ध होकर किसी नई बेंच में  सुना जा सकता है।

नैनीताल हाईकोर्ट में एक और जनहित याचिका

नैनीताल हाईकोर्ट ने बनभूलपुरा क्षेत्र में 100-500 रुपये के स्टाम्प पेपर पर जमीन बेचे जाने के मामले को संज्ञान में लेते हुए नैनीताल प्रशासन से जवाब मांगा है। उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी में भू माफिया द्वारा रेलवे, वन विभाग और राजस्व भूमि को सौ और पाँच सौ रुपये के स्टाम्प पेपर में बेचे जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, वन विभाग और रेलवे को निर्देश दिए हैं कि दस दिन के भीतर मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट दाखिल करें। कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ ने अगली सुनवाई 22 दिसम्बर को तय की है।

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जानकारी के अनुसार हल्द्वानी निवासी पूर्व पार्षद हितेश पांडे ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि हल्द्वानी बनभूलपुरा क्षेत्र की गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि, गौलापार गौजाजाली स्थित वन विभाग और राजस्व की भूमि को भू माफिया ने सौ और पाँच सौ रुपये के स्टाम्प पेपर में बेचने का काम किया है। जिन लोगो को यह भूमि बेची गयी वो लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं हैं। याचिका में कहा गया कि ये लोग रोजगार के लिए यहाँ आये थे और कुछ ही समय बाद सी.एस.सी.सेंटर में इनके वोटर आई.डी.,आधार कार्ड तक बना दिए गए। इसकी जांच पड़ताल की जानी चाहिए।