हल्द्वानी- बेरोजगारी और नशे के डर से जेल नहीं छोड़ना चाह रहे बंदी

हल्द्वानी न्यूज- कोई भी आरोपी सलाखों के पीछे पहुंचने के बाद जितनी जल्दी हो सके बाहर आने की दुआएं करता है। आरोपी तमाम कोशिश कर जमानत पर किसी तरह रिहा होना चाहते हैं। लेकिन हल्द्वानी जेल में कुछ ऐसे बंदी भी हैं जो बेराजगारी और नशे की डर से जेल नहीं छोड़ना चाहते।
जमानत होने के बाद भी ये बंदी अफसरों से कहते हैं कि उन्हें जेल में ही रहना है। ऐसे सभी बंदी नशेड़ी, लूट और मारपीट के आरोपी हैं। हल्द्वानी उपकारागार में 1100 से अधिक बंदी हैं। जिन पर हत्या, लूट, चोरी, डकैती, दुष्कर्म समेत तमाम धाराओं में मुकदमा दर्ज है। ये सभी कैदी यूएसनगर और नैनीताल जिले हैं।
इनमें से अधिकांश बंदी नशे की तस्करी, लूट और चोरी के मामले में सलाखों के पीछे पहुंचे हैं। ऐसे मामलों में सात से आठ महीने बाद लोक अदालत में इनके वादों का निस्तारण हो जाता है, लेकिन अधिकांश नशेड़ी और लूट-मारपीट के अपराधी जमानत मिलने के बाद भी जेल नहीं छोड़ना चाह रहे हैं। जब इसका कारण अधिकारियों से पूछा तो उनका कहना था कि ऐसे 15 से 20 बंदियों को महीने में जमानत मिलती है, लेकिन वह जेल से बाहर नहीं भेजने की अफसरों से गुहार लगाते हैं। क्योंकि उन्हें यहां पर्याप्त पौष्टिक भोजन समय से मिलता है और वह जेल के अंदर मजदूरी करके पैसे भी कमा लेते हैं। जबकि रिहा होने के बाद वे बाहर जाते ही बेरोजगार हो जाते हैं।
जेल के अंदर बंदी हो रहे आत्मनिर्भर
हल्द्वानी जेल के भीतर बंदी कौशल प्रशिक्षण सीखकर खुद को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। यहां दर्जी के अलावा प्लंबर और अन्य चीजों का विभागों की मदद से बंदियों को प्रशिक्षण दिया जाता है। जिसके बाद उत्पादों को मेलों या महोत्सव में स्टॉल लगाकर बेचा जाता है। हल्द्वानी उप कारागार में इन दिनों बंदी बिस्किट भी बना रहे हैं।
योग, खेल व शिक्षा से बनता है जेल में रुटीन
कैदियों की सेहत और पुनर्वास पर कारागार पुलिस विशेष ध्यान देती है। जेल में बंदियों को विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों में शामिल किया जाता है। जैसे कि योग, खेल और शिक्षा। इसके अलावा जेल में कैदियों को उनकी रुचि के अनुसार काम दिया जाता है। जिससे वे अपनी सेहत और कौशल में सुधार कर सकें। इस तरह उन्हें उद्योग विभाग की ओर से प्रशिक्षण दिया जाता है।
कोर्ट
बंदियों को जेल के भीतर अच्छा खाना और सुविधाएं मिलती हैं। नशेड़ी और लूटपाट जैसे आरोपों में आए बंदी जेल नहीं छोड़ना चाहते। लेकिन नियमों के अनुसार जगह खाली करने को जमानत मिलने के बाद इन्हें बाहर भेजना होता है।
प्रमोद पांडे, जेल अधीक्षक, हल्द्वानी उपकारागार।
