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देहरादून- तो क्‍या उत्तराखंड पंचायतों में फिर बढ़ेगा प्रशासकों का कार्यकाल! अध्यादेश पर राजभवन की मुहर का इंतजार

देहरादून न्यूज़- त्रिस्तरीय पंचायतों में चुनाव की स्थिति न बन पाने की स्थिति में प्रशासक कार्यकाल एक वर्ष तक करने के लिए पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन अध्यादेश को राजभवन की हरी झंडी का इंतजार है। इसके लिए शासन में बुधवार देर रात तक प्रतीक्षा की जा रही थी।

 

 

दरअसल, ग्राम पंचायतों में नियुक्त प्रशासकों का छह माह का कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो गया। ऐसे में गुरुवार से प्रशासक कार्यकाल बढ़ाना अनिवार्य हो गया है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो पंचायतों में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो जाएगी।
हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों (ग्राम, क्षेत्र व जिला) का कार्यकाल खत्म होने के बाद चुनाव की स्थिति न बन पाने पर पिछले वर्ष नवंबर के आखिर में इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था।
पहली बैठक के आधार पर ग्राम पंचायतों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले वर्ष 28 नवंबर, क्षेत्र पंचायतों का 30 नवंबर और जिला पंचायतों का कार्यकाल दो दिसंबर को खत्म हुआ था। बाद में इनमें प्रशासकों का दायित्व ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत प्रमुखों व जिला पंचायत अध्यक्षों को ही दे दिया गया था।

 

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पंचायतीराज अधिनियम में प्रविधान है कि पंचायतों में छह माह तक ही प्रशासक बैठाए जा सकते हैं। ग्राम पंचायतों में प्रशासकों का छह माह का कार्यकाल बुधवार को समाप्त हो गया, जबकि क्षेत्र व जिला पंचायतों में यह क्रमश: 30 मई व एक जून को खत्म होगा।
इस अवधि में भी पंचायतों में चुनाव की स्थिति न बन पाने के दृष्टिगत सरकार ने पंचायतों में प्रशासकों का कार्यकाल एक वर्ष तक करने के लिए अध्यादेश के जरिए पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन का निर्णय लिया। अध्यादेश को सोमवार को हरी झंडी दी गई थी। मंगलवार को शासन ने इसे स्वीकृति के लिए राजभवन भेजा। बुधवार देर रात तक अध्यादेश पर राजभवन की मुहर लगने की प्रतीक्षा की जा रही थी।