देहरादून: सेक्सटार्शन का बढ़ता जाल — साइबर ठगों ने आठ महीनों में 116 करोड़ ठगे, वरिष्ठ नागरिक सबसे ज़्यादा प्रभावित
एक जनवरी — 26 अगस्त: शिकायतों में तेज उछाल — पहली तिमाही 6,320 शिकायतें, अगले पांच महीनों में 10,304; सिर्फ 7.17% रकम ही रीकवर हुई। तत्काल कार्रवाई के लिए 1930 पर करें शिकायत।

देहरादून न्यूज़- डिजिटलीकरण ने जीवन आसान किया है, लेकिन साइबर अपराधियों ने भी तेज़ी से नए-नए ठगी के तरीके विकसित कर लिए हैं। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग (एनसीआरपी) के हालिया रुझानों के मुताबिक साइबर ठग कुल मिलाकर 30 अलग-अलग तरीकों से लोगों को निशाना बना रहे हैं — जिनमें सेक्सटार्शन सबसे खतरनाक और तेजी से बढ़ने वाला तरीका बना हुआ है।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 1 जनवरी से 26 अगस्त के बीच प्रदेश में साइबर ठगी के जरिए कुल 116 करोड़ रुपये की ठगी हुई। पहली तिमाही (1 जनवरी–31 मार्च) में ठगी का आंकड़ा 36 करोड़ रहा जबकि 1 अप्रैल से 26 अगस्त के बीच यह आंकड़ा दोगुना से अधिक होकर 80 करोड़ पर पहुंच गया। पहली तिमाही में कुल 6,320 शिकायतें दर्ज हुईं, जबकि अगले पांच महीनों में 10,304 शिकायतें आईं — जो मामले बढ़ने की स्पष्ट तस्वीर पेश करती हैं।
सिर्फ 7.17% राशि बचे पाए गए
साइबर थाना पुलिस की कोशिशों के बावजूद भी पीड़ितों द्वारा देरी से शिकायत दर्ज कराने के कारण धनराशि की बरामदगी सीमित रही। जागरूकता अभियानों के बावजूद आठ महीनों में हुई 116 करोड़ की ठगी में से पुलिस केवल 16.16 करोड़ रुपये ही बचा पाई — जो कुल का केवल 7.17 प्रतिशत है। अधिकारी बताते हैं कि शिकायत देर से मिलने पर ठग राशि को कई खातों में छोटी-छोटी ट्रांज़ैक्शनों में विभाजित कर देते हैं, जिससे तुरंत फ्रीज़ कर पाना मुश्किल हो जाता है।
30 तरीकों में सबसे खतरनाक — सेक्सटार्शन
साइबर ठगों के इस्तेमाल किए जाने वाले 30 तरीकों में प्रमुख हैं — सेक्सटार्शन, निवेश का झांसा, फर्जी एसएमएस, फर्जी लोन एप, होटल बुकिंग के फर्जी प्रोसेस, टेलीग्राम के जरिए फ्रॉड, क्रेडिट कार्ड स्कैम, ऑनलाइन खरीदारी के बहाने ओटीपी चोरी, रिश्तेदार बनकर ठगी, ओएलएक्स-फेक डील, डिजिटल अरेस्ट जैसी साजिशें, क्यूआर कोड स्कैम, पार्सल फ्रॉड, ट्रेडिंग (फेक/रिग्ड), बिजली बिल का झांसा, नौकरी के झांसे, गूगल सर्च लिंक पर क्लिक कर फ्रॉड, ऑनलाइन गेमिंग/ड्रीम-11, ऑनलाइन लॉटरी, पॉलिसी-स्कैम, मेट्रोमोनियल फ्रॉड, फर्जी बिजनेस खाता, गिफ्ट-स्कैम, कूपन/काइन रिडीम, KYC अपडेट का बहाना इत्यादि।
विशेषकर सेक्सटार्शन के मामलों में वरिष्ठ नागरिक अधिक संवेदनशील पाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार ठग फेसबुक या व्हाट्सएप पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर वार्ता शुरू करते हैं और कुछ दिनों बाद वीडियो कॉल कर विश्वास जाल बिछाते हैं। वीडियो कॉल के दौरान एक नग्न युवती का दृश्य दिखाकर स्क्रीन रिकॉर्ड कर लिया जाता है और बाद में पीड़ित के फोटो/वायरल करने की धमकी देकर मोटी रकम वसूली जाती है। बदनामी के डर से कई वरिष्ठ नागरिक शिकायत दर्ज कराने से भी कतराते हैं, जिससे जांच और बरामदगी और कठिन हो जाती है।
एसएसपी एसटीएफ का निर्देश: धोखाधड़ी पर तुरंत 1930 पर शिकायत करें
एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया, “यदि किसी के साथ साइबर ठगी हुई है तो उसे तत्काल 1930 पर शिकायत करनी चाहिए, ताकि जिन खातों में धनराशि ट्रांसफर हुई है उन्हें समय रहते फ्रीज़ कराया जा सके।” उन्होंने कहा कि आमतौर पर लोग कई दिनों बाद शिकायत लेकर आते हैं, तब तक ठग रकम को कई खातों में बंटा चुके होते हैं — जिससे रकम को बचाना मुश्किल हो जाता है।
नागरिकों के लिए सावधानी के ठोस सुझाव
1. अनजान लिंक/एसएमएस पर क्लिक न करें; ओटीपी किसी को साझा न करें।
2. सोशल मीडिया पर अज्ञात लोगों से प्राइवेट फोटोज़/वीडियो शेयर करने से बचें।
3. वीडियो कॉल करते समय अनजान व्यक्ति से नग्नता/संवेदनशील सामग्री न दिखाएँ।
4. किसी भी ब्लैकमेल की स्थिति में पहले खुद पैसा न भेजें; तुरंत 1930 पर शिकायत दर्ज कराएँ।
5. बैंक ट्रांज़ैक्शन की निगरानी रखें और संदिग्ध लेन-देन मिलते ही बैंक और पुलिस को सूचित करें।
6. किसी निवेश/नौकरी/लोन के ऑफर की वैधता जांचें — आधिकारिक वेबसाइट/कस्टमर केयर नंबर से पुष्टि करें।
7. परिवार के बुजुर्गों को साइबर फ्रॉड की जानकारी दें और उनके खातों पर अनियमित गतिविधि पर नज़र रखें।
निष्कर्ष
तेज़ी से बढ़ते साइबर फ्रॉड ने समाज के कमजोर वर्गों — विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों — को निशाना बनाया है। समय पर शिकायत और सतर्कता ही समस्याओं का बड़ा हल है। यदि आप या आपके जानने वाले किसी साइबर ठगी के शिकार हुए हैं तो तुरंत 1930 पर संपर्क करें और अपने बैंक/फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर को भी सूचित करें ताकि धनराशि के फ्रीज़ करने और अन्य कानूनी कार्रवाई की सम्भावना बनी रहे।

