सही कहा गया है कि मां जैसा कोई नहीं.. अपने अंडों के घोंसले की रखवाली करती कोबरा मां का वायरल वीडियो
सांप का नाम सुनते ही लोग अचानक चौकन्ने जाते हैं। उसमें भी अगर कोबरा या नाग का जिक्र हो तो दहशत और देखने की ललक दोनों एक साथ हिलोरें लेने लगती हैं, कुछ ही मिनटों में जान ले लेने वाले खतरनाक ज़हर से लैस ये कोबरा सामने पड़ जाए तो लोगों के पसीने छूट जाते हैं। इतने डरावने सांप में भी मां की ममता का एक पहलू आपका मन मोह लेगा. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इन दिनों ऐसा ही एक वीडियो वायरल हो रहा है।
इंस्टाग्राम पर बेहद मशहूर सपेरे यानी सांप पकड़ने वाले मुरली लाल ने एक मनमोहक वीडियो पोस्ट किया है. वीडियो में एक कोबरा को जमीन के नीचे अपने अंडों के घोंसले या बांबी की रखवाली करते हुए दिखाया गया है. वीडियो में दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के जहरीले सांपों में से सबसे आम और खतरनाक सांपों में से एक कोबरा की ममता का पहलू उजागर हो रहा है।
सोशल एक्टिविस्ट मुरली लाल अक्सर अपने साहसी रेस्क्यू अभियानों के वीडियो ऑनलाइन पोस्ट करते रहते हैं. उनके वीडियो यूजर्स को काफी पसंद आते हैं. उनके तमाम वीडियो क्लिप्स या फुटेज इन बेजुबान प्राणियों की सुरक्षा और अटैक दोनों ही प्रकृति की एक झलक पेश करता है. अंडों की रखवाली करते हुए कोबरा वाला उनका वीडियो भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जमकर वायरल हो रहा है।
वीडियो में दिख रहा है कि मुरली लाल जैसे ही जमीन के अंदर छिपे हुए घोंसले को सामने लाने के लिए सावधानी से मिट्टी को खोदता है, वैसे ही कोबरा अपना फन फैलाकर लपलपाती जीभ के साथ हमले के लिए तैयार होकर अपना रक्षात्मक रुख दिखाता है. खतरे के बावजूद मां सांप मिट्टी में रखे अपने अंडों की रक्षा करने में मजबूती से आगे आती है और उनके पास आने के किसी भी कोशिश को रोकती दिखती है।
इंस्टाग्राम पर इस मनमोहक वीडियो फुटेज को दो मिलियन से भी ज्यादा बार देखा गया है. व्यूअर्स ने सांप के सुरक्षात्मक रवैए और मुरली लाल की बहादुरी दोनों के लिए हैरत और तारीफ जाहिर की है. वीडियो पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, “एक मां की सुरक्षात्मक प्रवृत्ति हमेशा उग्र और अटूट होती है!” जबकि दूसरे यूजर ने मुरली लाल के साहस की सराहना करते हुए लिखा, “भाई, हमारे पास केवल एक ही दिल है, आप इसे कितनी बार जीतेंगे!”
मादा कोबरा अपने अंडे को सेने की अवधि के दौरान काफी मेहनत से अपने घोंसले की रक्षा करने के लिए जानी जाती हैं. आमतौर पर यह अवधि 75-100 दिनों तक चलती है. अक्सर पेड़ों के नीचे या बांस के समूहों के बीच अपने अंडों के लिए एक सुरक्षात्मक परत बनाने के लिए मादा कोबरा बेहद सावधानी से पत्तियां जमा करती है।