उत्तराखण्डकुमाऊं,गढ़वाल,

उत्तराखंड में बिजली अब होगी महंगी, बिजली उपभोक्ताओं को हर महीने इतने रुपयों का पड़ेगा असर, पढ़े पूरी खबर।

उत्तराखंड में बिजली के 27 लाख उपभोक्ताओं को ऊर्जा निगम ने बड़ा झटका दिया है। प्रदेश में प्रति यूनिट 14 से 52 पैसे बिजली के रेट बढ़ा दिए है। फ्यूल चार्ज एडजस्टमेंट (एफसीए) के नाम पर बिजली दरों में बढ़ोतरी की। ऊर्जा निगम ने जुलाई से सितंबर महीने के लिए अतिरिक्त बढ़ोतरी की है।

ऊर्जा विभाग ने अप्रैल, मई व जून महीने में फ्यूल चार्ज को पूरी तरह माफ किया था। लेकिन अब 3 माह के लिए फ्यूल चार्ज में बढ़ोतरी कर दी है। इस बार फ्यूल चार्ज की मार से बीपीएल उपभोक्ता भी नहीं बच पाएंगे। उन पर भी 14 पैसे प्रति यूनिट का भार डाला गया है। वहीं घरेलू उपभोक्ताओं से 36 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज वसूला जाएगा और कमर्शियल से 52 पैसे, सरकारी विभागों से 50 पैसे, प्राइवेट ट्यूबवेल से 16 पैसे प्रति यूनिट चार्ज लिया जाएगा।

यह भी पढ़ें 👉  देहरादून- डीएम सविन बंसल ने दिव्यांग युवती के चेहरे पर लौटाई मुस्कान, यहाँ औचक निरीक्षण में फरियादी ने बताई थी अपनी पीड़ा

इसके साथ ही कृषि गतिविधियों के लिए बिजली बिलों में भी 22 पैसे चार्ज तय किया गया है। एलटी इंडस्ट्री को 49 पैसे, एचटी इंडस्ट्री को 47 पैसे, मिक्स लोड पर 45 पैसे, रेलवे से 44 पैसे और इलेक्ट्रिकल व्हीकल चार्जिंग स्टेशन पर 42 पैसे फ्यूल चार्ज का भाग पड़ेगा। वही ऊर्जा निगम के प्रबंधक निदेशक अनिल कुमार ने यह आदेश किए हैं। उन्होंने कहा है कि फ्यूल चार्ज के रेट हर 3 महीने में तय होते हैं।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड- आंदोलनकारियों और आश्रितों को नौकरी में 10% आरक्षण विधेयक को मंजूरी, सीएम धामी बोले- नहीं भूलेंगे बलिदान

पिछली तिमाही में फ्यूल चार्ज पूरी तरह मन था। इस तिमाही में गैस और कोल से चलने वाले पावर प्लांट की बिजली महंगी होने से फ्यूल चार्ज बड़ा है। जो सिर्फ 3 महीने के लिए है। अक्टूबर में यह रेट नए सिरे से रिवाइज हो जाएंगे।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तरकाशी- यहाँ टिहरी बांध की झील में नहाने के दौरान डूबा किशोर, खोजबीन में जुटी एसडीआरएफ, नहीं मिला कोई सुराग।

वहीं घरेलू श्रेणी के बिजली उपभोक्ता यदि 100 यूनिट बिजली खर्च करते हैं तो उन्हें हर महीने 36 रुपये अतिरिक्त भुगतान करना होगा। 200 यूनिट पर 72 रुपए, 300 यूनिट पर 108 रुपए, 400 यूनिट पर 144 रुपए, 500 यूनिट पर 180 रुपये खर्च करने होंगे। इसी तरह कमर्शियल उद्योगों को इससे भी ज्यादा अतिरिक्त खर्च करना होगा।