उत्तराखंड के इस गांव का अनोखा फैसला: अब शादी में महिलाएं पहन सकेंगी सिर्फ तीन गहने, नियम तोड़ने पर लगेगा 50 हजार जुर्माना
देहरादून जिले के कंडार और इदरोली गांवों में सादगी और बराबरी को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीणों ने लिया सामूहिक निर्णय — दिखावे और आर्थिक बोझ पर लगाम लगाने की पहल

उत्तराखंड के देहरादून जिले के जौनसार-बावर इलाके से एक अनोखा सामाजिक फैसला सामने आया है, जिसने पूरे राज्य में चर्चा छेड़ दी है। चकराता ब्लॉक के कंडार और इदरोली गांवों के ग्रामीणों ने सामूहिक बैठक कर यह निर्णय लिया है कि अब से गांव की महिलाएं किसी भी शादी या सामाजिक समारोह में सीमित गहने ही पहन सकेंगी।
ग्रामीणों द्वारा तय नियम के अनुसार, महिलाएं केवल झुमके, नाक की अंगूठी और मंगलसूत्र पहन सकेंगी। इस नियम का उल्लंघन करने वाली किसी भी महिला पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।
💬 सादगी और समानता को बढ़ावा देने का उद्देश्य
गांव वालों का कहना है कि यह फैसला किसी पर दबाव डालने के लिए नहीं, बल्कि समाज में सादगी और समानता को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है। ग्रामीणों के मुताबिक, बीते कुछ वर्षों में शादियों और सामाजिक आयोजनों में गहनों का अत्यधिक प्रदर्शन बढ़ा है, जिससे सामाजिक प्रतिस्पर्धा और आर्थिक असमानता बढ़ रही है। कई परिवार ऐसे भी हैं जो दिखावे की इस दौड़ में कर्ज़ तक ले लेते हैं।
इस पृष्ठभूमि में, दोनों गांवों के लोगों ने सादगी और सामाजिक सुधार की दिशा में यह सख्त लेकिन सार्थक कदम उठाया है।
👵 बुजुर्गों ने सराहा फैसला
गांव के बुजुर्गों ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि पहले के समय में सादगी को महत्व दिया जाता था, लेकिन आधुनिक दौर में बढ़ते दिखावे ने समाज में दूरी पैदा कर दी है। उनका मानना है कि इस नियम से लोगों में एकता, समझ और समानता की भावना बढ़ेगी।
🌿 राज्यभर में चर्चा का विषय बनी पहल
कंडार और इदरोली गांवों का यह फैसला न सिर्फ जौनसार-बावर, बल्कि पूरे उत्तराखंड में चर्चा का विषय बना हुआ है। सामाजिक संगठनों और आम लोगों का कहना है कि यह सामाजिक जागरूकता और बराबरी की दिशा में एक प्रेरक कदम है।
ग्रामीणों का मानना है कि अगर ऐसी पहलें दूसरे इलाकों में भी लागू हों, तो शादियों और पारिवारिक आयोजनों में सादगी व परंपरा फिर से जीवित हो जाएगी।
📌 निष्कर्ष:
जौनसार-बावर के इन गांवों का यह फैसला समाज को एक नई दिशा देने वाला उदाहरण बन सकता है — जहाँ दिखावे से ज़्यादा मानवता, सादगी और समानता को प्राथमिकता दी जाए।







