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उत्तराखंड निकाय चुनाव की तारीखों पर अपडेट? तैयारियों में जुटा शहरी विकास विभाग और निर्वाचन आयोग

उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव दिसंबर माह में संभावित हैं। इसे लेकर राज्य निर्वाचन आयोग और शहरी विकास विभाग ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. हालांकि, अभी कुछ प्रक्रियाओं को पूरा किया जाना बाकी है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है ओबीसी आरक्षण संबंधी अध्यादेश पर निर्णय। शासन द्वारा ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए तैयार किया गया अध्यादेश राजभवन को भेजा गया है।

उम्मीद है कि इस सप्ताह के भीतर राजभवन से इसे मंजूरी मिल जाएगी। अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद, ओबीसी आरक्षण की नियमावली तैयार की जाएगी, जिसे मुख्यमंत्री से अनुमोदन प्राप्त करना होगा। नियमावली तैयार होने के बाद जिलाधिकारियों को आरक्षण प्रक्रिया लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इस प्रक्रिया के पूरा होते ही राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करेगा।

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सूत्रों के अनुसार, निर्वाचन आयोग 15 दिसंबर के आसपास चुनाव अधिसूचना जारी कर सकता है। यह अधिसूचना जारी होने के बाद सभी नगर निकायों में चुनाव प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो जाएगी। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, दिसंबर के अंतिम सप्ताह में मतदान कराने की योजना पर काम चल रहा है।

उत्तराखंड में कुल 92 नगर निकाय हैं, जिनमें 8 नगर निगम, 42 नगर पालिका परिषद और 42 नगर पंचायत शामिल हैं। इन निकायों में प्रतिनिधियों का चयन आम जनता के माध्यम से किया जाएगा। राज्य में इन चुनावों का महत्व काफी अधिक है, क्योंकि ये न केवल स्थानीय विकास कार्यों की दिशा तय करेंगे, बल्कि राजनीतिक दलों की आगामी रणनीतियों को भी प्रभावित करेंगे।

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नगर निकाय चुनावों में देरी का मुख्य कारण ओबीसी आरक्षण पर निर्णय में लग रहा समय है। इससे पहले उच्च न्यायालय ने पिछली आरक्षण प्रक्रिया को खारिज करते हुए नई नियमावली बनाने का निर्देश दिया था। इसके चलते सरकार को नए सिरे से आरक्षण प्रक्रिया तय करनी पड़ी, जिसमें समय लग रहा है।

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इन चुनावों को लेकर सभी प्रमुख राजनीतिक दल सतर्क हो गए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों ही दल रणनीतियां बनाने में जुट गए हैं। वहीं, क्षेत्रीय पार्टियां भी अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं। शहरी विकास विभाग और निर्वाचन आयोग की तेजी से होती तैयारियां यह संकेत देती हैं कि दिसंबर का अंतिम सप्ताह चुनावों के लिए तय हो सकता है। अब सबकी नजरें इस सप्ताह राजभवन से ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को मंजूरी मिलने पर टिकी हैं, जिसके बाद निकाय चुनावों की तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी।