उत्तराखंड- यहाँ पैरोल पर छूट कर आए भाई की भाई ने कर दी थी हत्या, अब मिली आजीवन कारावास की सजा, जाने पूरा मामला?
कोटद्वार न्यूज़- उत्तराखंड प्रदेश के कोटद्वार में एक भाई को अपने ही भाई की हत्या करने के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने हत्या के एक मामले में आरोपित को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
मामला फरवरी 2021 को धुमाकोट थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम भरतपुर (गौलीखाल) का है। यहाँ ग्राम भरतपुर निवासी अनूप सिंह पुत्र स्व.चंद्र सिंह ने पुलिस को सूचित किया कि अज्ञात व्यक्ति ने उसके भाई वीरेंद्र सिंह की हत्या कर दी है। बताया कि भाई का शव घर से कुछ दूर पड़ा हुआ है।
इधर मृतक वीरेंद्र की पुत्री हिमानी ने अज्ञात व्यक्ति पर उनके पिता की हत्या का आरोप लगाते हुए धुमाकोट थाने में तहरीर दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। जांच के दौरान इस बात की पुष्टि हुई कि घटना से कुछ दिन पूर्व अनूप व वीरेंद्र के बीच झगड़ा हुआ था।
झगड़े की बात सामने आने के बाद अनूप को हिरासत में लेकर पूछताछ की, जिसमें अनूप ने भाई की हत्या की बात स्वीकारी। अनूप का कहना था कि वीरेंद्र दिल्ली की जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। लॉकडाउन के दौरान उसे पैरोल मिली और 16 मई को वह बच्चों के साथ घर वापस आ गया।
घर आकर वीरेंद्र लगातार अनूप सिंह से इस बात को लेकर झगड़ा करता था कि उसने उसे सजा से बचाने के लिए कुछ भी नहीं किया। वीरेंद्र को एक मार्च को दिल्ली वापस लौटना था। लेकिन, उससे पूर्व ही 25 फरवरी को शराब के नशे में दोनों भाइयों में मारपीट हुई और अनूप ने वीरेंद्र के सिर पर वार कर दिया, जिससे वीरेंद्र जमीन पर गिर पड़ा। घायल वीरेंद्र को अनूप घसीटते हुए घर से कुछ दूर ले गया और उसे वहीं छोड़ अपने कमरे में सोने चला गया।
वही सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जीतेंद्र रावत ने बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में तीन सितंबर 2021 से मामले में सुनवाई शुरू हुई। जिसमे अभियोजन पक्ष की ओर से मामले में नौ गवाह प्रस्तुत किए गए।
वही तमाम गवाहों को सुनने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी ने अनूप को वीरेंद्र की हत्या में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने ग्यारह हजार के अर्थदंड की भी सजा सुनाई है। अर्थदंड जमा न करने की स्थिति में अनूप को एक वर्ष के अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी।