उत्तराखंड- यहाँ प्रसव के बाद महिला की मौत, परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का लगाया आरोप
पीएचसी पिलखी में फिर गूंजे सवाल — स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा

टिहरी गढ़वाल न्यूज़– गढ़वाल मंडल के टिहरी जिले में एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली उजागर हुई है। घनसाली ब्लॉक के पिलखी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में प्रसव के बाद एक महिला की मौत के मामले ने हड़कंप मचा दिया है। मृतका के परिजनों ने डॉक्टरों पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है।
घटना कैसे हुई
ग्राम पंचायत सेम बासर निवासी 22 वर्षीय रवीना कठैत, पत्नी कुलदीप कठैत, को गुरुवार सुबह करीब 6 बजे प्रसव पीड़ा हुई। परिजन उन्हें तुरंत पीएचसी पिलखी ले गए, जहां सुबह करीब 8 बजे उन्होंने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।
हालांकि, देर शाम रवीना की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। डॉक्टरों के अनुसार, उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। हालत गंभीर होने पर उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखकर 108 एंबुलेंस से श्रीनगर बेस अस्पताल रेफर किया गया, जहां शुक्रवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
परिजनों का आरोप
महिला के पति कुलदीप कठैत, जो होटल में काम करते हैं, ने आरोप लगाया कि रात में जब पत्नी की हालत बिगड़ी, तब अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था।
> “सिर्फ वार्ड ब्वॉय ड्यूटी पर था। अगर समय पर इलाज मिलता तो मेरी पत्नी आज जिंदा होती,” — कुलदीप कठैत, पति।
परिजनों ने पूरा मामला जांच कराने और संबंधित डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की है।
सीएमओ ने दी सफाई
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. श्याम विजय ने बताया कि महिला की पहले से हृदय संबंधी बीमारी थी और उसकी बाईपास सर्जरी भी हो चुकी थी।
> “परिजनों ने यह जानकारी डॉक्टरों को नहीं दी थी। प्रसव सामान्य था, लेकिन बाद में सांस लेने की तकलीफ बढ़ी, जिसके बाद उसे रेफर किया गया,” — डॉ. श्याम विजय, सीएमओ टिहरी गढ़वाल।
पहले भी हो चुकी है मौत
गौरतलब है कि इसी पीएचसी पिलखी में 6 सितंबर को भी एक महिला की डिलीवरी के कुछ दिनों बाद 15 सितंबर को मौत हो गई थी। लगातार हो रही इन घटनाओं ने ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है।
ग्रामीणों का आक्रोश
ग्रामीणों का कहना है कि तकनीकी युग में भी पहाड़ी क्षेत्रों में प्रसव जैसी आपात स्थितियों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर और संसाधन उपलब्ध नहीं हैं।
“राज्य रजत जयंती मना रहा है, लेकिन पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाएं अब भी 25 साल पीछे हैं,” — एक ग्रामीण ने कहा।







