बलवंत सिंह दानू संघर्ष और जनसेवा का अद्वितीय उदाहरण, नहीं रहे

लालकुआं न्यूज– बिंदुखत्ता के वरिष्ठ कांग्रेस नेता, पूर्व सैनिक, समाजसेवी और सस्ता ग़ल्ला विक्रेता बलवंत सिंह दानू का लंबी बीमारी के बाद 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन की खबर मिलते ही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। उनकी अंतिम यात्रा शनिवार प्रातः 9 बजे उनके आवास से चित्रकला घाट रानीबाग के लिए प्रस्थान करेगी।
सैनिक जीवन से समाजसेवा तक की यात्रा
बलवंत सिंह दानू का जीवन अनुशासन, साहस और सेवा की मिसाल रहा। भारतीय सेना में सेवा देने के बाद उन्होंने समाज और क्षेत्र के विकास के लिए सक्रिय भूमिका निभाई। उनका सैनिक जीवन उन्हें दृढ़ता, साहस और संगठनात्मक क्षमता प्रदान करता रहा, जिसे उन्होंने राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में पूरी तरह से लागू किया।
राजनीति और कांग्रेस में योगदान
सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाई। वे तीन बार लगातार ब्लॉक अध्यक्ष रहे और 17 वर्षों तक पार्टी का नेतृत्व किया। प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य के रूप में उन्होंने संगठन को सुदृढ़ किया और आमजन की समस्याओं को राजनीतिक मंच तक पहुँचाया। उनकी सादगी और जनप्रियता उन्हें हर वर्ग में प्रिय बनाती थी।
बिंदुखत्ता के विकास में अहम भूमिका
बलवंत सिंह दानू का नाम बिंदुखत्ता के विकास और बसासत से हमेशा जुड़ा रहेगा। उन्होंने “बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम बनाओ” आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी से मिलकर क्षेत्र की समस्याओं को हल करवाया।
पूर्व कैबिनेट मंत्री व विधायक हरीशचंद्र दुर्गापाल के करीबी होने के कारण बिंदुखत्ता में कई विकास कार्य उनकी पहल से हुए।
शिक्षा और समाज में योगदान
वे जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बिंदुखत्ता के प्रबंधक रहे और शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दिया। विभिन्न सामाजिक समितियों से जुड़े रहे और गरीब, वंचित एवं पिछड़े वर्ग के कल्याण में सक्रिय रहे।
जनसेवा और आदर्श जीवन
बलवंत सिंह दानू सादगी, दृढ़ता और जनसेवा का प्रतीक रहे। आमजन की समस्याओं को सामने लाना और उनका समाधान करना उनका जीवनमंत्र था। उनके व्यक्तित्व ने उन्हें केवल नेता नहीं, बल्कि लोगों का “अपना प्रतिनिधि” बना दिया।
शोक संवेदनाएँ
उनके निधन पर क्षेत्र के नेताओं और गणमान्य नागरिकों ने गहरा शोक व्यक्त किया। उपस्थित लोगों में प्रमुख थे:
विधायक सुमित हृदयेश, विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीशचंद्र दुर्गापाल
कांग्रेस जिला अध्यक्ष राहुल छिमवाल, कांग्रेसी नेता हरेंद्र बोरा, राजेंद्र सिंह खनवाल, संध्या डालाकोटी, किरन डालाकोटी, हेमवती नंदन दुर्गापाल, कांग्रेस अध्यक्ष पुष्कर दानू, नगर पंचायत अध्यक्ष सुरेंद्र लोटनी, पूर्व चेयरमैन रामबाबू मिश्रा, विरेंद्र दानू, पंकज दानू, मनोज दानू दीपक दानू, प्रमोद कलोनी
हरीश जोशी, साथ ही सरकारी सस्ता गल्ला संगठन के पदाधिकारी व सदस्य सहित भारी संख्या में क्षेत्रवासी और सामाजिक कार्यकर्ता उनके घर पर एकत्रित हुए और परिवार को ढांढस बंधाया।
परिवार और विरासत
बलवंत सिंह दानू अपने पीछे पत्नी, दो पुत्र – सुरजीत दानू और हरीश दानू सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए। उनके भाई खिलाफ सिंह दानू वर्तमान में पूर्व सैनिक संगठन बिंदुखत्ता के अध्यक्ष हैं व छोटे भाई नरपत दानू जो व्यवसाई है।
उनकी सबसे बड़ी विरासत उनका संघर्षशील जीवन और जनता की सेवा की भावना है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।

