देहरादून- जमीनों की नियम विरुद्ध खरीद पर नोटिस भेजे
उत्तराखंड में भू कानून उल्लंघन के मामलों में तेज हुई कार्रवाई सभी जिलों ने भेजी रिपोर्ट
- रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ और चंपावत को छोड़ 10 जिलों में प्रारंभिक कार्यवाही शुरू
- हरिद्वार और नैनीताल में जमीन निहित करने की कार्यवाही तेज
देहरादून न्यूज़– उत्तराखंड में भू-कानून का उल्लंघन कर जमीन खरीदने वाले दूसरे राज्य के लोगों के खिलाफ पूरे प्रदेश में कार्यवाही शुरू हो गई है। रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ व चंपावत को छोड़ शेष जिलों में प्रशासन ने नियम विरुद्ध और तथ्यों को छुपाकर खरीदी गई जमीनों के मामले में जेडएएल ऐक्ट के सेक्शन 166/167 के तहत 150 से ज्यादा नोटिस जारी किए है।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बाहरी लोगों द्वारा जमीन खरीदने और तेजी से होते डेमोग्राफी चेंज को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंभीरता से लिया था। इस क्रम में उन्होंने भू-कानून के उल्लंघन के मामलों में कार्यवाही को कहा था। इस पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी डीएम को जिलों में मानकों के विरुद्ध व तथ्य छुपाकर खरीदी गई जमीनों का ब्यौरा शासन को भेजने के निर्देश दिए थे। मंगलवार को सभी जिलों ने रिपोर्ट शासन को उपलब्ध करा दी है।
पहले चरण में सिर्फ बड़े सौदों पर सख्ती-
सभी जिलाधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में अभी सिर्फ बड़े मामलों की ही रिपोर्ट भेजी है। इसमें शासन से लेकर जिला प्रशासन तक से जमीन खरीदने की मंजूरी से जुड़े मामलों की जानकारी है। इसके तहत 12.5 एकड़ से ज्यादा भूमि की खरीद को विशेष मंजूरी और 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीद की इजाजत लेने वाले मामलों की पड़ताल की गई है। एक ही परिवार के कई लोगों द्वारा तथ्य छुपाकर 250 वर्ग मीटर के कई भूखंड लेने के मामले अभी प्रारंभिक रिपोर्ट से बाहर हैं। सिर्फ टिहरी में ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं। इस बीच रुद्रप्रयाग, चंपावत के साथ ही पिथौरागढ़ जिले में जमीन खरीद की मंजूरी से जुड़े मामलों में कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई है।
शासन को सभी जिलों ने से मिल गई रिपोर्ट- परिषद
जिलों की रिपोर्ट के आधार पर यूएसनगर में 40 मामलों में नोटिस जारी होने हैं। इनमें चार प्रकरण 12.5 एकड़ से अधिक भूमि खरीद वाले हैं। डीएम उदयराज ने बताया कि 16 को नोटिस जारी कर दिए हैं। पौड़ी में 28, टिहरी में 44, उत्तरकाशी में 23, अल्मोड़ा में करीब 88 मामले हैं। इन जिलों में प्रारंभिक तौर पर 166/167 के तहत 150 से अधिक नोटिस जारी किए हैं। सुनवाई के बाद जमीनें सरकार में निहित करने की कार्रवाई शुरू होगी। राजस्व परिषद अध्यक्ष आनंदवर्धन ने बताया कि सभी जिलों की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।