उत्तराखण्डकुमाऊं,

वनाधिकार समिति बिंदुखत्ता ने राजस्व गांव के लिए लालकुआं तहसील में सौंपा ज्ञापन

  • वनाधिकार समिति बिंदुखत्ता ने राजस्व गांव के लिए लालकुआं तहसील में सौंपा ज्ञापन

लालकुआं न्यूज– वनाधिकार समिति बिंदुखत्ता के बैनर तले ग्रामीणों ने अध्यक्ष राज्य स्तरीय निगरानी समिति वनाधिकार अधिनियम 2006 को प्रेषित ज्ञापन की प्रति तहसील प्रशासन को सौंपते हुए तत्काल बिंदुखत्ता राजस्व गांव को लेकर अधिसूचना जारी करने की मांग की।

 

वन अधिकार समिति के अध्यक्ष अर्जुन नाथ गोस्वामी के नेतृत्व में स्थानीय तहसील में पहुंचे ग्रामीणों ने लालकुआं तहसील के रजिस्टर कानूनगो मोहित बोरा को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि वन अधिकार कानून की धारा 3 (1) ज के अंतर्गत जिला स्तरीय वन अधिकार समिति से दावा स्वीकृत हुए इसे प्रदेश स्तरीय समिति के लिए प्रेषित कर दिया था, इसके बाद 8 माह बीत जाने के बावजूद बिंदुखत्ता राजस्व गांव की अधिसूचना शासन में लंबित है, इस संबंध में कई बार पत्राचार हो चुके हैं परंतु अब तक अधिसूचना जारी नहीं हुई है।

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जबकि उक्त मामले में उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या, विधायक हरीश धामी ने विधानसभा में यह प्रश्न उठाया, जिसका जवाब वन मंत्री सुबोध उनियाल ने दिया और कहा कि बिंदुखत्ता को अभी 75 वर्ष के बजाय 73 वर्ष ही हो रहे हैं, उनके द्वारा दिए गए इस जवाब से बिंदुखत्ता के ग्रामीण निराश हैं।

 

ज्ञापन में कहा गया कि जनजाति मंत्रालय द्वारा स्पष्ट कहा गया है कि किसी व्यक्तियों समुदाय के लिए 75 वर्षों में एक ही स्थान पर निवास करना अनिवार्य नहीं है, साथ ही स्पष्ट किया गया है कि 75 वर्ष पूरे होना आवश्यक नहीं है, बल्कि यह सिद्ध होना चाहिए कि समुदाय तीन पीढियों से एक ही स्थान पर निवास करता है। उन्होंने तत्काल इस संबंध में शासनादेश जारी करने की मांग की।

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वन अधिकार समिति के अध्यक्ष अर्जुन नाथ गोस्वामी ने कहा कि जनता से बुनियादी सुविधाएं छीनी जा रही हैं, उन्होंने कहा कि यदि बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम घोषित नहीं किया गया, तो जनता आंदोलन के लिए बाध्य होगी। उन्होंने कहा कि 80,000 की आबादी सिंचाई, पंचायती राज, कृषि, सड़क और बैंक ऋण जैसी बुनियादी सरकारी योजनाओं से वंचित है।
उन्होंने मांग की कि सरकार तत्काल इस मुद्दे का संज्ञान ले और वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम घोषित किया जाए।

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ज्ञापन देने वालों में कविराज सिंह धामी, नंदन सिंह बोरा, गणेश दत्त, बलवंत सिंह बिष्ट, नवीन चंद्र जोशी, नंदन सिंह गढ़िया, राम सिंह शाह, देवेंद्र सिंह बिष्ट, हरीश चंद्र सिंह, गिरीश पांडे, मुन्नी जोशी, दीप चंद्र जोशी, बसंत पांडे, उमेश भट्ट, और कुंदन सिंह मेहता सहित भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।