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हल्द्वानी- यहाँ रेरा पर हुई किसानों और डीडीए की बैठक बेनतीजा, प्राधिकरण के खिलाफ महापंचायत का ऐलान।

हल्द्वानी न्यूज- रेरा को लेकर किसानों में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए जिला प्रशासन और जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) की ओर से नगर निगम सभागार में बुलाई गई बैठक बेनतीजा रही। गहमागहमी के बीच डेढ़ घंटे चली बैठक में किसानों ने रेरा में छोटी जोत के किसानों की समस्या उठाईं और नगर आयुक्त ने जवाब दिए। आखिर में जवाबों से असंतुष्ट किसानों ने नारेबाजी करते हुए बैठक का बहिष्कार किया। किसानों ने 25 अगस्त को लेकर होने वाली कार्यशाला का भी बहिष्कार करने का निर्णय लिया और जल्द मामले में महापंचायत बुलाने का ऐलान किया।

बैठक में जिला विकास प्राधिकरण सचिव पंकज उपाध्याय ने बताया कि विक्रेता, डेवलपर, प्रमोटर इन सबके बीच में संबंधों को परिभाषित करने के लिए रेरा आया। जब रेरा नहीं था तब किसी मामले में किसान परेशान था। तो किसी में खरीदने वाला। कि जमीन सही बेची लेकिन कब्जा किसी और का मिला। यानी एक जमीन को कई-कई लोगों के बीच बेच दिया गया। उन्होंने बताया कि नैनीताल जिले में हल्द्वानी क्षेत्र में 56 गांव और रामनगर में 25 गांव रेरा के अंतर्गत शामिल हैं ओर कहा कि किसान को परेशान होने की जरूरत नहीं है।

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भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार नियमों में शिथिलिकरण कर समस्या का समाधान किया जाता है। प्रतिबंध केवल अनियोजित विकास और अनियोजित प्लाटिंग पर है। कहा कि किसी किसान को दिक्कत है तो व्हाहटसप नंबर दिया जाएगा। ऑनलाइन भी समस्या दर्ज की जा सकती है।

वही किसान नेता बलजीत सिंह ने कहा कि प्रदेश में केवल रामनगर और हल्द्वानी में रेरा क्यों लगाया गया। कहा कि यहां छोटी जोत वाले किसान ज्यादा हैं। किसी ने बच्चों को पढ़ाना है तो किसी ने बीमारी के इलाज के लिए जमीन रखी है। रेरा से किसानों का भला कैसे होगा, यह बताएं। इन सब गलतियों के लिए जिला विकास प्राधिकरण जिम्मेदार है। किसान परेशान और भ्रमित हैं, ऐसे में प्राधिकरण को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए।

वही प्रदेश कांग्रेस महासचिव महेश शर्मा ने कहा कि रेरा कानून हल्द्वानी के साथ भावर और पर्वतीय क्षेत्रों में लगाया जाना व्यावहारिक नहीं है। बंटवारे की वजह से जमीनों की चौड़ाई 30 फुट रह गई है, ऐसे में काश्तकारों के लिए 30 फुट चौड़ा रास्ता देना संभव नहीं है। राज्य आंदोलनकारी ललित जोशी ने कहा कि प्राधिकरण के नियम किसानों को सड़क पर लाने के लिए हैं। खटीमा-बाजपुर में थारू समुदाय की जमीन बेचने पर रोक है। लेकिन जरूरत पड़ने पर वह लोग मजबूरी में 10 रुपये के स्टांप पेपर में जमीन बेचने को मजबूर हैं।

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ऐसा ही हाल किसानों का यहां प्राधिकरण करने जा रही है। इससे सरकार को भी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ेगा। किसान नरेंद्र सिंह खनी ने सवाल किया कि एक खसरा नंबर पर कितने स्क्वायर फुट जमीन बेच सकते हैं। प्राधिकरण सचिव ने आश्वासन दिया कि बैठक में जिन किसानों ने समस्याएं बताई हैं। वह उन सभी के यहां जाएंगे और समस्या का समाधान करेंगे। किसानों का आरोप था कि स्पष्ट जवाब कुछ भी नहीं दिया गया।

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बैठक में किसान गोपाल सिंह, अर्जुन सिंह, नारायण बड़ौला ने भी सवाल दागे और आरोप लगाया कि किसानों पर मनमर्जी से नियम लागू किए जा रहे हैं। बंद कमरे में विकास प्राधिकरण ने नियम बना दिए। किसानों से उनकी समस्याएं पूछी नहीं गईं। बैठक में जवाब से असंतुष्ट दिखे किसानों ने रेरा का पुरजोर विरोध करने का ऐलान किया। किसान नेता बलजीत सिंह ने कहा कि यह संगठन पूरी तरह गैर राजनीतिक है। इसमें सभी दलों के लोगों ने समर्थन दिया है।

उन्होंने रेरा की बैठक में संतोषजनक उत्तर नहीं देने पर बैठक का बहिष्कार करने की घोषणा करते हुए महापंचायत करने का ऐलान किया। किसानों ने नगर निगम से बाहर निकलकर नारेबाजी भी की।

वही बैठक में सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, सीओ भूपेंद्र धौनी, बनभूलपुरा थानाध्यक्ष नीरज भाकुनी के अलावा किसान कमल खुल्बे, नीरज रैक्वाल, प्रमोद तोलिया, हरीश नेगी समेत अन्य किसान मौजूद रहे।