उत्तराखण्डकुमाऊं,

गैरसैंण विधानसभा सत्र का पहला दिन हंगामे की भेंट, विपक्ष ने पलटी मेज-तोड़ा माइक

गैरसैंण (भराड़ीसैंण)- ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में मंगलवार से शुरू हुए मानसून सत्र का पहला दिन भारी हंगामे की भेंट चढ़ गया। पंचायत चुनावों में कानून-व्यवस्था को लेकर कांग्रेस ने नियम 310 के तहत चर्चा की मांग की, लेकिन सरकार ने मामले को न्यायालय में विचाराधीन बताते हुए चर्चा से इनकार कर दिया। इससे नाराज विपक्ष ने वेल में आकर नारेबाजी की, कार्यसूची फाड़ दी और विधानसभा सचिव की मेज पलटकर माइक तक तोड़ दिया।

 

 

सुबह 11 बजे वंदेमातरम के साथ कार्यवाही की शुरुआत हुई। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने पंचायत चुनावों पर चर्चा की मांग उठाई। संसदीय कार्यमंत्री सुबोध उनियाल ने इसे न्यायालय में विचाराधीन बताकर अस्वीकार किया। इस पर कांग्रेस विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया।

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विपक्ष के शोरगुल और नारेबाजी के कारण प्रश्नकाल नहीं चल पाया। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने विपक्ष को बार-बार समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने। नतीजतन, दोपहर तक सदन की कार्यवाही आठ बार स्थगित करनी पड़ी।

 

 

पूर्व विधायक मुन्नी देवी शाह के निधन पर शोक प्रस्ताव के दौरान विपक्ष शांत रहा, लेकिन भोजनावकाश के बाद कार्यवाही फिर हंगामे में बदल गई। इसी बीच सरकार ने नौ विधेयक पटल पर रख दिए। दिनभर के हंगामे के चलते विधानसभा की कार्यवाही महज 1 घंटे 45 मिनट ही चल पाई।

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नेताओं की प्रतिक्रियाएं

ऋतु खंडूड़ी भूषण, विधानसभा अध्यक्ष
“सदन में अपनी बात रखना हर सदस्य का अधिकार है, लेकिन तोड़फोड़ किसी भी तरह से उचित नहीं है। विपक्ष का मुद्दा न्यायालय में विचाराधीन था, इसलिए नियम 58 में स्वीकार नहीं किया गया।”

 

 

पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
“विपक्ष कानून-व्यवस्था पर चर्चा की मांग कर रहा था लेकिन खुद ही कानून तोड़ दिया। आज जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। जनता के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए थी।”

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सुबोध उनियाल, संसदीय कार्यमंत्री
“हमारी नियमावली साफ कहती है कि न्यायालय में विचाराधीन मामलों पर चर्चा नहीं हो सकती। आपदा जैसी परिस्थितियों में पूरा प्रदेश सदन की ओर देख रहा था, लेकिन कांग्रेस ने जानबूझकर कार्यवाही को बाधित किया।”

 

 

यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष
“पंचायत चुनावों में कानून व्यवस्था का मजाक बनाया गया। विपक्ष इसका जवाब मांग रहा था लेकिन सरकार जवाब देने से बच रही है। सरकार खुद ही सदन में व्यवधान उत्पन्न कर रही है।”