उत्तराखण्डकुमाऊं,

टूटते पहाड़, धंसती सड़कें, घरों में दरार, आखरी क्यों धंस रहा हिल स्टेशन नैनीताल, जाने

आपके फेवरेट हिल स्टेशन नैनीताल पर इस वक्त एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है। नैनीताल में रहने वाले लोगों के मन में कुछ डराने वाले सवाल घूम रहे हैं। जैसे क्या जोशीमठ की तरह अब नैनीताल भी धंस रहा है?

नैनीताल के एक गांव में सड़कों से घरों तक बहुत तेजी से दरारें पड़ रही हैं। जैसी आपने जोशीमठ में देखी थी, इसीलिए लोग दहशत में हैं कि क्या नैनीताल के पहाड़ भी अब दरक रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक गांव के 19 घरों में हर साल दरारें आ रही हैं। खतरे को देखते हुए प्रशासन अलर्ट हो गया है। गांव का निरीक्षण भी किया गया है, लेकिन डरे हुए लोग अब अपने घरों को छोड़कर जाने के लिए मजबूर हैं। जो लोग यहां मौजूद हैं वो भगवान का नाम लेकर दिन और रात काट रहे हैं।

कुछ दिन पहले इसी नैनीताल से आए एक और मंजर ने लोगों को डरा दिया है। टिफिन टॉप जो नैनीताल में पर्यटकों की पसंदीदा स्थल होता था। नैनीताल का टिफिन टॉप जिसे डोरोथी सीट के नाम से भी जाना जाता है। जहां लोग जाते थे, सेल्फी लेते थे और वीडियो बनाते थे। वो डोरोथी सीट बारिश और लैंड स्लाइड में अब बह चुकी है और अब टिफिन टॉप नाम सिर्फ इतिहास के पन्नों में रह गया है।

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सवाल ये है कि क्या नैनीताल में बज रहे खतरे के इस सायरन को कोई सुन रहा है, क्या ये नैनीताल में एक बड़ी आपदा के पहले की आहट है? इसका जवाब परेशान करने वाला है। भूवैज्ञानिक लगातार ये कह रहे हैं कि नैनीताल की भार सहने की क्षमता अब खत्म हो चुकी है और नैनीताल के दर्द को अब किसी ने महसूस नहीं किया तो सब कुछ खत्म हो जाएगा।

अब सवाल ये है कि आखिर नैनीताल में हालात अब इतनी खतरनाक क्यों हो रही है, आखिर नैनीताल धंस क्यों रहा है? इसका पहला कारण इस क्षेत्र में हो रहा है अंधाधुंध निर्माण तो है ही, लेकिन एक और वजह है जो नैनीताल और यहां रहने वाले लोगों को डरा रही है। इस वजह का नाम है बलिया नाला है।

‘बलिया नाला’ नैनीताल झील के निकास का क्षेत्र है। नैनीताल की बुनियाद कहे जाने वाले ‘बलिया नाला’ में लगातार भूस्खलन हो रहा है। ये भूस्खलन पिछले कुछ सालों से नहीं बल्कि साल 1972 से जारी है, लेकिन दावा है कि इस विषय पर प्रशासन को जितना गंभीर होना चाहिए वो उतना गंभीर नहीं है। जानकारों की मानें तो ये बलिया नाला हर साल 60 सेमी से 1 मीटर खिसक रहा है। इसके अलावा जिन पहाड़ियों से नैनीताल घिरा हुआ है। वहां भी लैंड स्लाइड के मामले पिछले कुछ वर्षों में बढ़ गए हैं।

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इसलिए आप कह सकते हैं नैनीताल शहर एक इस वक्त एक ऐसा बारूद के ढेर के बीच है जो किसी भी वक्त फट सकता है। नैनीताल में साल 1901-02 में 520 बिल्डिंग होती थीं, लेकिन अब नैनीताल में घरों की संख्या 7 हजार से भी ज्यादा है और इसमें 150 से ज्यादा बड़े होटल और रिजॉर्ट शामिल हैं।

कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जो कंस्ट्रक्शन नैनीताल में हुआ है उसमें बहुत सारे निर्माण अवैध भी है। यानी नैनीताल के पहाड़ों पर जो जुल्म हो रहा है उसे अब उन्होंने बर्दाश्त करने से इनकार कर दिया। अब उनके सब्र का बांध लैंड स्लाइड के रूप में टूट रहा है।

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अब हैरानी की बात ये है कि नैनीताल को लेकर संकट वाला सायरन कोई पहली बार नहीं बज रहा है। बल्कि इससे पहले भी यहां के दरकते पहाड़ों को लेकर कई चेतावनी दी गई थी। कुछ वर्ष पहले IIT रुड़की ने एक रिपोर्ट में बताया था कि नैनीताल में मॉल रोड के ऊपर पहाड़ियों का डेंजरस पैच है जो 300 मीटर ऊंचा और 165 मीटर लंबा है। ये इतना संवेदनशील है कि किसी भी वक्त गिर सकता है।

इसके अलावा हाईकोर्ट की ओर से गठित कमेटी की रिपोर्ट में ये बताया गया था कि नैनीताल में भूस्खलन के खतरे वाली पहाड़ियों पर ड्रेनेज सिस्टम को तुरंत दुरुस्त किया जाना चाहिए। कमेटी के सदस्यों ने ये भी सुझाव दिया था कि नैनीताल के जो रिस्क जोन वाले पहाड़ हैं वहां पर बसे लोगों को सुरक्षित जगह पर भेज दिया जाए। पर इस पर कितना काम हुआ ये भी सामने आना चाहिए। क्योंकि अभी तो सच यही है कि नैनीताल इस वक्त एक बड़े खतरे की जद में है।