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बिंदुखत्ता को है न्याय की दरकार, जब नहीं सुन रही सरकार, तो अर्जी पहुंची न्यायकारी गोल्ज्यू दरबार

लालकुआं।

मिनी उत्तराखंड के नाम से प्रसिद्ध बिंदुखत्ता को राजस्व गांव का दर्जा दिलाने के लिए हल्दूचौड़ निवासी समाजसेवी ने घोड़ाखाल जाकर न्यायकारी देव गोल्ज्यू दरबार में अर्जी लगायी।
वर्षों से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा वन भूमि पर बसा बिंदुखत्ता आज भी 70 वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उसी जगह पर खड़ा है जहां वर्षों पहले संघर्ष से बसासत की शुरुआत हुई थी।
आज भी बिंदुखत्तावासियों को अधिकार के रूप में केवल लोकसभा और विधानसभा में वोट देने का अधिकार प्राप्त है, जबकि राजस्व गांव के लिए मुद्दा पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश सरकार से लेकर राज्य गठन के 22 साल बीत जाने के बाद भी आज तक मुद्दा सुलझ पाना तो दूर इस पर गंभीरता से विचार तक नहीं किया गया ।
2013 में निर्दलीय विधायक हरीश चंद्र दुर्गापाल के प्रयासों से बिंदुखत्ता को नगर पालिका का दर्जा मिलने पर टैक्स व राजनीतिक गुटबाजी के बीच बिंदुखत्ता का नगरपालिका बनना भी राजनीतिक की भेंट चढ़ गया, और आज स्थिति जस की तस है।
गौरतलब है कि इतना समय बीत जाने के बाद भी किसी ने इस मुद्दे पर जनता की कोई सुध नहीं ली।
हाल ही में क्षेत्रीय विधायक डॉ मोहन बिष्ट द्वारा इस विषय पर पहल शुरू की हैं, यह पहल कितनी कारगर होती हैं यह वक्त के गर्भ में है।
बिंदुखत्ता वासियों को उनके मूलभूत अधिकार ना मिल पाना गंभीर विषय इसलिए भी है क्योंकि बिंदुखत्ता की एक लाख से अधिक आबादी आज लालकुआं सीट का सबसे बड़ा वोट बैंक है। पर यह केवल वोट बैंक तक ही सीमित रह गयी हैं ।
इसी को लेकर “उत्तराखंड युवा एकता मंच” के संयोजक हल्दूचौड़ निवासी पीयूष जोशी ने गोल्ज्यू दरबार में पहुंचकर लालकुआं विधानसभा की सबसे प्रमुख जगह बिंदुखत्ता वासियों के लिए न्याय के देवता गोल्ज्यू महाराज के दरबार मे एक विशेष अर्जी दाखिल की।
इस अर्जी में उन्होंने न्याय के देवता गोल्ज्यू महाराज से अपील की हैं कि जिन भी सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने बिंदुखत्ता वासियों को बरगला कर अपना राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध करने की कोशिश की व आज तक जनता को गुमराह किया, उन सभी को न्याय के देवता अपनी अदालत में सजा देते हुए दंडित करें। तथा नेताओं एवं राजनीतिक दलों को सद्बुद्धि देकर बिंदुखत्ता को न्याय के देवता जल्द से जल्द राजस्व गांव का दर्जा दिलाएं।