उत्तराखण्डकुमाऊं,

फुटपाथ पर बिक रहे पहाड़ी काफल के आगे फलों का राजा ‘आम’, काफल बिक रहा 350-400 रुपये किलो तक

  • 60 से 80 रुपये किलो है आम का भाव

हल्द्वानी न्यूज़- बेडू पाको बारा मासा, नरैणा काफल पाको चैता मेरी छैला…। यह कुमाऊंनी गीत और काफल हर कुमाऊंनी व्यक्ति की चाहत है। काफल को आज तक सरकार बाजार उपलब्ध नहीं करा पाई है। यह आज भी पगडंडियों या फिर बाजार में फुटपाथ पर ही बिक रहा है। इसके बावजूद काफल ने फलों के राजा आम को ढेर कर दिया है।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड- यहाँ रोडवेज के कर्मचारी ने चंदा देने से मना किया, तो सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी ने कर्मचारी को पीटा, मामले की जांच में जुटी पुलिस

 

बाजार में इस समय मौसमी फल छाए हुए हैं, मगर बात चाहे स्वाद व पसंद की हो या फिर कीमत की, पर्वतीय क्षेत्र से आने वाले काफल, आड़ू, पुलम, खुबानी आदि फल अन्य फलों पर हावी हैं। काफल की कीमत ने तो सभी फलों को पीछे छोड़ दिया है। काफल आम से पांच गुना ज्यादा कीमत पर बिक रहा है। काफल से महंगा बाजार में कोई फल नहीं है। इसकी डिमांड भी सबसे ज्यादा है।

यह भी पढ़ें 👉  देहरादून- भाजपा नेता आदित्य राज पार्टी से निष्कासित

 

आम जहां 60 से 80 रुपये किलो तक बिक रहा है, तो वहीं काफल 400 रुपये किलो तक बिक रहा है। आड़ू, पुलम, खुमानी के रेट भी 100 रुपये से नीचे नहीं हैं। काफल हल्द्वानी मंडी में नहीं आता। यह फुटपाथों पर ही बिकता है। महिला अस्पताल के सामने फुटपाथ काफल बेचने वाले बृजेश बिहार के रहने वाले हैं।

 

उनका कहना है कि एक दिन में करीब 10 किलो तक बिक जाता है। पहाड़ से खरीदकर वह काफल बेचने आते हैं। जंगल से कई काफल के पेड़ जल भी चुके हैं। अल्मोड़ा के लमगड़ा से वह काफल ला रहे हैं।

यह भी पढ़ें 👉  हल्द्वानी- यहाँ कोतवाली क्षेत्र में दो पक्षों के बीच जमकर हुई मारपीट।

 

बाजार में बिक रहे मौसमी फल के रेट फल प्रति किग्रा

  • काफल 350-400
  • आडू 80-100
  • खुबानी 120-150
  • पुलम 100-150
  • आम 60-70
  • सेब 180-200
  • तरबूज – 15 -20
  • खरबूजा 20 – 30