उत्तराखण्डकुमाऊं,गढ़वाल,

संसदीय कार्यमंत्री के बयान से उत्‍तराखंड में उबाल, पहाड़ व शराब के जिक्र के बाद हुआ बवाल

  • कांग्रेस विधायकों से बातचीत के दौरान विधायक मदन बिष्ट की कथित क्षेत्रवाद की टिप्पणी पर भड़के संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल
  • सदन में हुए इस घटनाक्रम पर पीठ ने जताई सख्त नाराजगी, कहा लोकतंत्र के मंदिर में ऐसी बातें होना दुर्भाग्यपूर्ण, हम सबका है उत्तराखंड

 

देहरादून न्यूज़– विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन से कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट और संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बीच चल रही तनातनी एक बार फिर शुक्रवार को सदन में सतह पर आ गई। कांग्रेस विधायकों से बातचीत के दौरान विधायक बिष्ट की कथित क्षेत्रवाद की टिप्पणी पर मंत्री अग्रवाल ने कड़ा ऐतराज जताया। 

इसके बाद सदन में माहौल गर्मा गया। पीठ ने भी इस घटनाक्रम पर सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि सदन में हम ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, जैसे चौराहे पर हों। लोकतंत्र के इस मंदिर में ऐसी बातें होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उत्तराखंड हम सबका है।
वहीं उत्‍तराखंड में प्रदर्शन का दौर जारी है। विभिन्‍न संगठनों द्वारा प्रदर्शन और पुतला दहन किया जा रहा है।कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर विधानसभा में गलत बयान देने का आरोप लगा देहरादून में एश्लेहाल के समक्ष महानगर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरकार का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया। 

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड निकाय चुनाव- निर्वाचन आयोग सख्त, सात विभागों को भेजा आचार संहिता उल्लंघन का नोटिस
ऋषिकेश में उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ रैली निकाली। पशुलोक से पैदल रैली मंत्री के बैराज रोड स्थित कैंप कार्यालय के पास पहुंची। कैंप कार्यालय में पुलिस ने बैरिकेड लगाकर भीड़ को रोक दिया। कुछ लोगों ने बैरिकेडिंग पर चढ़ने का प्रयास किया। इसके बाद मंत्री के खिलाफ प्रदर्शन कर पुतला फूंका।
श्रीनगर गढ़वाल में कांग्रेसियों का प्रदर्शन किया और पुतला फूंका। उन्‍होंने नारेबाजी करते हुए प्रेमचंद अग्रवाल को मंत्री पद से हटाने की मांग की। पूर्व जिला पंचायत सदस्य, प्रदेश प्रवक्ता प्रताप भंडारी बोले कि अगर प्रेमचंद अग्रवाल श्रीनगर आए तो उन्‍हें जूतों की माला पहनाऊंगा।

शून्यकाल के दौरान की थी टिप्‍पणी

बजट सत्र के पहले दिन विपक्ष की ओर से राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध किया जा रहा था, तब द्वाराहाट के विधायक बिष्ट और मंत्री अग्रवाल के बीच हुई तीखी नोकझोंक चर्चा के केंद्र में रही थी। शुक्रवार को सदन में शून्यकाल के दौरान संसदीय कार्यमंत्री अग्रवाल, कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी की कार्यस्थगन की सूचना का जवाब दे रहे थे। इसी दौरान विधायक बिष्ट ने साथी विधायकों से बातचीत में कथित तौर पर क्षेत्रवाद से संबंधित टिप्पणी की। मंत्री अग्रवाल ने इसे लेकर कड़ा ऐतराज जताया। फिर तो सदन में काफी देर तक हंगामे जैसी स्थिति रही।

यह भी पढ़ें 👉  ग्राफ़िक एरा में तीन दिवसीय ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन की कार्यशाला का आयोजन।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने इस घटनाक्रम पर सख्त लहजे में कहा कि सदन की कार्यवाही को पूरा देश देख रहा है। देश से पहले विदेश से टिप्पणी आने लगती है कि आपके सदन में क्या चल रहा है। उन्होंने कहा कि हम उत्तराखंड के लोग हैं। ऐसा व्यवहार न करें। राज्य के लिए सबने लड़ाई लड़ी। ऐसी टिप्पणी लोकतंत्र के मंदिर में होगी तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

मंत्री और विपक्षी विधायकों के बीच हुए वार्तालाप को कार्यवाही से हटाने के निर्देश

उन्होंने कहा कि कभी-कभार मुंह से कोई शब्द निकल जाता है, लेकिन यदि इसे बार-बार दोहराया जा रहा है तो साफ है कि जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है। यह अवश्य ध्यान में रखा जाए कि हम कहां बैठे हैं। पीठ ने सदन में मंत्री और विपक्षी विधायकों के बीच हुए वार्तालाप को कार्यवाही से हटाने के निर्देश दिए।

 

 

भोजनावकाश के बाद सदन में हुए यह घटनाक्रम चर्चा का विषय बन गया। बात तब और गर्मा गई, जब विधायक बिष्ट ने सदन से बाहर आकर मीडिया से बातचीत में कहा कि मंत्री को शालीनता से जवाब देना चाहिए था। वे किसी को कुछ समझते ही नहीं हैं।
उनके द्वारा ये कहा गया कि हम पहाड़ के विधायक हैं, क्या शराब पीकर आते हैं। इस पर मंत्री भड़क गए। बिष्ट के अनुसार सत्र के पहले दिन मंत्री ने उनके लिए कहा कि वे शराब पीकर आए थे। इसका रोष मैंने व्यक्त किया। साथ ही कहा कि वह मंत्री को मानहानि का नोटिस भी भेजेंगे।
मामले के तूल पकडऩे और इसे लेकर हो रही तरह-तरह की चर्चा के बाद शाम को संसदीय कार्यमंत्री अग्रवाल ने सदन में कहा कि जब वह नियम-58 की सूचना का जवाब दे रहे थे, तब उनके द्वारा कोई शब्द कहा गया, जिसे तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड हमारा है। साथ ही राज्य निर्माण आंदोलन में अपनी भूमिका व सक्रियता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलनकारी होने के बाद भी उन्हें बताना पड़ रहा है कि वह उत्तराखंडी हैं। इससे वह दुखी हैं।