उत्तराखंड- यहाँ सोशल मीडिया स्टार्स की पंचायत चुनाव में करारी हार, लाखों फॉलोअर्स, मगर वोट सिर्फ गिनती के

उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025: सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स रखने वाले चेहरे जब जमीनी राजनीति में उतरे, तो नतीजे चौंकाने वाले रहे। इंटरनेट की दुनिया में चमकने वाले इनफ्लुएंसर्स को पंचायत चुनाव में आम जनता ने नकार दिया। जिन चेहरों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाखों लोग पसंद करते हैं, उन्हें असल जिंदगी में वोट गिनती के ही नसीब हुए।
कनालीछीना की दीप्ति बिष्ट को सिर्फ 55 वोट
पहला मामला पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना ब्लॉक की डूंगरी ग्राम पंचायत से सामने आया है। यहां से ग्राम प्रधान पद की उम्मीदवार रहीं दीप्ति बिष्ट के यूट्यूब पर 1.5 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं और फेसबुक पर भी एक लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। सोशल मीडिया पर बड़ी फैन फॉलोइंग के बावजूद उन्हें चुनाव में मात्र 55 वोट ही मिले। इससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। लोग पूछ रहे हैं—क्या सोशल मीडिया की लोकप्रियता सिर्फ आभासी है?
रुद्रप्रयाग की दीपा नेगी को मिली करारी शिकस्त
दूसरा मामला रुद्रप्रयाग जनपद के घीमतोली गांव का है। यहां से चुनाव लड़ीं पहाड़ी यूट्यूबर दीपा नेगी, जिनके यूट्यूब चैनल पर 1.28 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं, चुनाव में सिर्फ 269 वोट ही हासिल कर सकीं। उनकी प्रतिद्वंदी कविता ने उन्हें 480 वोटों के अंतर से हराया। चुनावी हार के बाद दीपा ने सोशल मीडिया पर एक भावुक वीडियो साझा करते हुए कहा, “मैं हार गई, लेकिन आत्मसम्मान नहीं हारा। मेरे परिवार को भी इस चुनाव में निशाना बनाया गया।”
हल्द्वानी के भीम सिंह को भी जनता ने नकारा
तीसरा मामला हल्द्वानी की बच्ची नगर ग्राम पंचायत का है। यहां से चुनाव लड़े भीम सिंह के यूट्यूब पर 21,000 और फेसबुक पर 24,000 फॉलोअर्स हैं। लेकिन उन्हें सिर्फ 955 वोट ही मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंदी हरेंद्र सिंह ने 1,534 वोट पाकर जीत दर्ज की।
निष्कर्ष:
इन परिणामों से साफ है कि सोशल मीडिया की लोकप्रियता और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर है। हजारों-लाखों फॉलोअर्स होने का मतलब यह नहीं कि लोग आपको वोट भी देंगे। पंचायत चुनाव ने यह दिखा दिया कि डिजिटल इमेज नहीं, बल्कि ज़मीनी जुड़ाव ही असली ताकत है।
