उत्तराखण्डगढ़वाल,

धराली त्रासदी: प्रकृति ने लौटाया अपना पुराना हक, मलबे पर बनी बस्तियां फिर हुई जमींदोज

उत्तरकाशी न्यूज- धराली की वेदना में साफ झलकता है कि प्रकृति को न समझना मानव की सबसे बड़ी भूल है। खीर गंगा से निकली तबाही ने मानव की बसावट को मिटा दिया, लेकिन इसमें प्रकृति का कोई दोष नहीं। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं सामान्य हैं, लेकिन असामान्य यह है कि इंसान ने प्रकृति की राह में जाकर घर बसा लिए।

 

 

इसरो के कारटोसेट-3 उपग्रह से प्राप्त तस्वीरें बताती हैं कि जलप्रलय में आया मलबा खीर गंगा के मूल जलग्रहण क्षेत्र में ही जम गया। वरिष्ठ भूविज्ञानी और एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. एमपीएस बिष्ट के अनुसार, खीर गंगा का कैचमेंट निचले क्षेत्र में 50 से 100 मीटर तक फैला है, जो श्रीकंठ पर्वत के ग्लेशियर से तीव्र ढाल के साथ सीधे जुड़ा है। दशकों पहले भी यहां मलबा जमा था और उसके ऊपर ही बस्तियां बसीं। अब नदी ने अपना पुराना रास्ता वापस ले लिया है।

यह भी पढ़ें 👉  हल्द्वानी - (अच्छी खबर) रेलवे प्रशासन द्वारा लालकुआं से अमृतसर एक्सप्रेस के संचालन का TIME- TABLE हुआ निर्धारित, पढ़े खबर

 

 

धराली से एक किलोमीटर आगे हर्षिल घाटी में भी ऐसा ही भू-परिवर्तन हुआ, लेकिन वहां आबादी न होने के कारण नुकसान नहीं हुआ। प्रो. बिष्ट ने चेतावनी दी है कि अब धराली के मूल जलग्रहण क्षेत्र में किसी भी तरह का निर्माण नहीं होना चाहिए। सरकार को मलबे से भरे पूरे इलाके की मैपिंग कर निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित करना होगा, ताकि धराली जैसी त्रासदी फिर न दोहराई जाए।

यह भी पढ़ें 👉  एलबीएस में प्राचार्य डॉ0 सीमा श्रीवास्तव ने कार्यभार ग्रहण किया

 

 

क्या है कारटोसेट-3?

कारटोसेट-3 एक उच्च क्षमता वाला भारतीय उपग्रह है, जो पृथ्वी की सतह की अत्यंत स्पष्ट तस्वीरें प्रदान करता है।

यह भी पढ़ें 👉  देहरादून -(बड़ी खबर) UKPSC में आई 1097 पदों पर इस भर्ती को लेकर जारी की अपडेट

पैनक्रोमैटिक रेजोल्यूशन: 0.25 मीटर (25 सेमी) – दुनिया के उच्चतम रेजोल्यूशन वाले इमेजिंग उपग्रहों में शामिल।

मल्टीस्पेक्ट्रल रेजोल्यूशन: लगभग 1 मीटर, चार स्पेक्ट्रल बैंड के साथ।

 

मुख्य उपयोग:

नगरीय योजना और संसाधन प्रबंधन

ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास

आपदा प्रबंधन (भूकंप, बाढ़, भूस्खलन आकलन)

रक्षा एवं सामरिक निगरानी