नैनीताल- पहाड़ पर चढ़ा बाहुबल: नैनीताल से अल्मोड़ा तक पंचायत चुनाव में गोलियां, अपहरण और अराजकता, वीडियो शामिल


देहरादून न्यूज- उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में इस बार पंचायत चुनाव में बाहुबलियों का ऐसा तांडव देखने को मिला, जैसा पहले कभी नहीं हुआ। अल्मोड़ा और नैनीताल के कई इलाकों में अपहरण, फायरिंग और खुलेआम दबंगई के मामले सामने आए। नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट को लेकर सबसे ज्यादा बवाल मचा। गुरुवार को शांत पहाड़ी वादियां गोलियों की तड़तड़ाहट और हंगामे से गूंज उठीं, जिससे माहौल यूपी-बिहार के चुनावी रण जैसा हो गया।
पहाड़ में पहली बार ऐसा माहौल
अब तक बाहुबल और दबंगई का असर मैदानी जिलों — हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर — तक ही सीमित था। 2003 पंचायत चुनाव में लक्सर ब्लॉक में हथियारबंद समर्थकों का शक्ति प्रदर्शन, 2008 में किच्छा ब्लॉक में बूथ कैप्चरिंग और 2015 में बहादराबाद में अपहरण के मामले दर्ज हुए। लेकिन इस बार पहली बार पहाड़ में भी ऐसी अराजकता देखने को मिली।
नैनीताल बना चुनावी रणभूमि
नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान हालात बेकाबू हो गए। ऊधमसिंह नगर के बाजपुर में यूपी के राज्यमंत्री के बेटे, दामाद और पूर्व चेयरमैन पर बीडीसी सदस्य को तमंचे की नोक पर अगवा करने का आरोप लगा। गदरपुर में बीडीसी सदस्यों के प्रमाण पत्र गायब होने पर हंगामा हुआ और हाईकोर्ट के आदेश पर देर रात पांच सदस्यों को प्रमाण पत्र लौटाए गए।
अल्मोड़ा के द्वाराहाट में भी तनाव बढ़ गया, जब बीडीसी सदस्यों के अपहरण की शिकायत पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सात घंटे तक हाईवे जाम रखा। गुरुवार को भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जमकर ईंट-पत्थर चले और हवा में फायरिंग की गई।
बाहुबल के पीछे राजनीति का खेल
राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर प्रभात उप्रेती का कहना है कि उत्तराखंड बनने के बाद पहाड़ी जिलों में भी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज हुई है। कई जगह पंचायत चुनाव का दांव सीधे विधायक या सांसद समर्थित प्रत्याशियों पर लगने लगा, जिससे सत्ताधारी दलों से जुड़े बाहुबली उम्मीदवार सक्रिय हुए। पंचायत और बीडीसी सदस्यों की खरीद-फरोख्त आम हो गई है और अब यूपी जैसे राज्यों से भाड़े पर बदमाश बुलाए जा रहे हैं।
