हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: आवेदन की अंतिम तिथि तक योग्यता न होने पर समय सीमा बढ़ाने का अधिकार नहीं — अभ्यर्थियों की याचिका खारिज

नैनीताल न्यूज़– उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि यदि उम्मीदवार आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि तक पद के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता पूरी नहीं कर पाते हैं, तो वे समय सीमा बढ़ाने के लिए अदालत से आदेश नहीं मांग सकते। कोर्ट ने इस आधार पर अभ्यर्थियों की याचिकाएं खारिज कर दीं।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया जो जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक) चंपावत और पिथौरागढ़ की ओर से प्राथमिक सहायक अध्यापक के पदों पर जारी विज्ञापनों में आवेदन तिथि बढ़ाने की मांग को लेकर दायर की गई थीं। याचिका भास्कर मिश्रा, पंकज नौटियाल तथा अन्य उम्मीदवारों की ओर से दाखिल की गई थी।
दोनों जिलों में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किए गए थे। इसमें स्पष्ट किया गया था कि आवेदकों के पास स्नातक की डिग्री के साथ एनसीटीई से मान्यता प्राप्त संस्थान से दो वर्षीय डीईएलएड / चार वर्षीय बीईएलएड / दो वर्षीय डीएड अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
आवेदन की अंतिम तिथि चंपावत के लिए 28 नवंबर और पिथौरागढ़ के लिए 30 नवंबर निर्धारित की गई थी।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि वे डीईएलएड पाठ्यक्रम पूरा करने वाले हैं और दिसंबर में परिणाम आने की उम्मीद है, इसलिए योग्यता पूरी होने के बाद उन्हें आवेदन करने की अनुमति दी जाए और आवेदन तिथि बढ़ाने के निर्देश जारी किए जाएं।
हालांकि अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ताओं के पास विज्ञापन में मांगी गई योग्यता अंतिम तिथि तक उपलब्ध नहीं थी, जबकि विज्ञापन के खंड (क)(2) में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि आवेदन जमा करने की तिथि को सभी आवश्यक योग्यताएं उम्मीदवार के पास होनी चाहिए।
हाई कोर्ट ने टिप्पणी की —
> प्रत्येक चयन प्रक्रिया समयबद्ध तरीके से पूरी होनी चाहिए। नियोक्ता को आवेदन की अंतिम तिथि तय करने का अधिकार है और इसे उन अभ्यर्थियों के अनुरोध पर नहीं बदला जा सकता जो समय सीमा के भीतर योग्यता पूरी नहीं कर पाए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से दावा किया गया कि यदि आवेदन की अंतिम तिथि नहीं बढ़ाई गई तो उनके रोजगार के अधिकार का उल्लंघन होगा। जबकि सरकार की ओर से बहस के दौरान कहा गया कि सरकारी नौकरी के लिए विचार किया जाना मौलिक अधिकार अवश्य है, लेकिन यह अधिकार केवल उन्हीं उम्मीदवारों को प्राप्त है जो निर्धारित पात्रता पूरी करते हैं।
सरकारी अधिवक्ता ने भी दोहराया कि अंतिम तिथि के दिन योग्यताओं का होना अनिवार्य है।
अंततः कोर्ट ने याचिकाओं में प्रस्तुत तर्कों को अस्वीकार करते हुए कहा कि जहाँ आवश्यक योग्यता पूरी नहीं होती, वहाँ तिथि बढ़ाकर अवसर प्रदान नहीं किया जा सकता, और सभी याचिकाएँ खारिज कर दीं।







