उत्तराखण्डकुमाऊं,स्वास्थ्य

Parkinson के रोगियों के लिए अच्‍छी खबर, जानवरों के बाद मानव में भी दवा का हुआ सफल परीक्षण

  • कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. रावत हैं मुख्य भूमिका में
  • अगले साल मरीजों में होगा परीक्षण

नैनीताल न्यूज़- गंभीर रोग पार्किंसन के उपचार के लिए दवा का परीक्षण जानवरों के बाद अब मानव में भी सफल हो चुका है। अगले साल इसका पार्किंसन मरीज में ट्रायल किया जाएगा। जिसके बाद ही यह दवा बाजार में आएगी।

 

इस महत्वपूर्ण शोध में मुख्य भूमिका में रहे प्रसिद्ध रसायन विज्ञानी व कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत ने बताया कि मंगलवार को बोस्टन अमेरिका से ई मेल से सूचना आई कि मानव में इसका परीक्षण सफल हो गया है।

यह भी पढ़ें 👉  नैनीताल-उधम सिंह नगर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट ने भारी मतों से करी जीत दर्ज

 

विश्व में एक करोड़ से अधिक लोग पार्किंसन से ग्रसित हैं। इस बीमारी के लक्षण में पूरा शरीर या हाथ-पैरों का कांपना, चाल धीमी पड़ना और चल ना पाना आदि हैं। यह बीमारी रोगियों में गंभीर डिप्रेशन का कारण भी बनती है।

 

इस न्यूरो डीजेनरेटिव बीमारी का कारण मष्तिष्क के मध्य भाग में स्थित सब्सटेंशिया निग्रा में न्यूरान कोशिकाओं की मृत्यु होना है। यह स्थिति डोपामाइन की कमी के कारण बनती है। कुछ प्रोटीन ऐसे हैं, जो डोपामाइन्स न्यूरांस के अस्तित्व के लिए जरूरी हैं।

 

पशुओं पर अध्ययनों से पता चलता है कि यह अणु महत्वपूर्ण न्यूरान एंजाइन को सक्रिय करता है। इससे डोपामाइन न्यूरान की मृत्यु रुक जाती है।  यह सिन्यूक्लिन प्रोटीन के एकत्रीकरण को भी रोकता है।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड- यहाँ सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतों के निवारण में बरती गई लापरवाही, समाधान न करने वाले अधिकारियों के रोके वेतन

 

कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. डीएस रावत के अनुसार 2012 में प्रसिद्ध जर्नल नेचर कम्यूनिकेशन में मलेरिया के ट्रीटमेंट पर शोध प्रकाशित हुआ था। जिसके बाद क्लोरोकीन के पार्ट से दवा बनाने का विचार आया।

 

शोध में खास प्रोटीन की पहचान की गई। उसी साल मैकलीन अस्पताल अमेरिका के प्रो. किम ने पार्किंसन रोग के उपचार के लिए अणु विकसित करने में सहयोग के लिए संपर्क किया था। टीम ने छह सौ से अधिक यौगिकों की जांच की। इसके बाद विकसित अणु (कोड एटीएच 399ए) का चिकित्सकीय परीक्षण शुरू किया गया।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड- यहाँ बाइक सवार युवकों ने दुकान जा रहे तीन बच्‍चों को मारी जोरदार टक्‍कर, एक की मौत

 

प्रो. रावत के अनुसार 2021 में दिल्ली विश्वविद्यालय व मैकलीन अस्पताल अमेरिका के बीच समझौता हुआ था। जिसमें तय हुआ कि नूरआन फार्मास्यूटिकल्स इस अणु को विकसित करने में एक भागीदार के रूप में काम करेगा।

 

बाद में आनआल बायोफार्मा और डेवूंग फार्मा ने नूरआन फार्मा के साथ हाथ मिलाया। यह बीमारी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी व अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन को भी थी।