दिखने में जितनी सुंदर उतनी जहरीली, पहले डॉली, फिर माही के बाद उसने अपना नाम क्रिस्टियानो रख लिया !
हल्द्वानी न्यूज़– दिखने में जितनी सुंदर उतनी जहरीली ,कमाई-धमाई कुछ नहीं और रईशी में कोई कमी भी नहीं। इमान की कमाई में ऐसा होना नामुम्किन है, लेकिन धंधा अगर गंदा हो तो सब मुम्किन है। माही उर्फ डॉली का हाल भी कुछ ऐसा ही था। कहने को उसके पास न तो कोई कारोबार था और न ही कोई नौकरी, लेकिन रहन-सहन रईशों से कम नहीं था। ऐसे ही तमाम राज जानने के लिए अब खुफिया माही की हिस्ट्री खंगाल रही है।
युवा कारोबारी अंकित चौहान की हत्या की मास्टर माइंड डॉली उर्फ माही को 14 जुलाई से पहले कुछ खास लोग ही जानते थे, लेकिन अब माही सुखिर्यों में है। कोबरा के डसवा कर अंकित की हत्या करने वाली माही के पीछे एसओजी के साथ पुलिस की तीन और टीमें लगी हैं, लेकिन 14 जुलाई की रात से फरार माही का अभी तक कोई सुराग नहीं है। हत्याकांड के मास्टर माइंट के तौर पर जब माही सामने आई तो उसके कई राज भी खुद-ब-खुद खुलने लगे। पुलिस के मुताबिक एक ही शहर में माही के तीन घर हैं।
इसमें तो एक घर माही के नाम पर है और दो घर पुश्तैनी बताए जा रहे हैं। इन पुश्तैनी घरों में से एक में माही की मां और दूसरे में उसका मानसिक तौर पर अस्वस्थ भाई रहता है। सूत्रों की मानें तो गोरापड़ाव के शांतिनगर में जहां वह महंगा इलाका है। यहां जमीन की कीमत 2 हजार रुपये प्रति स्क्वायर फीट से अधिक है और माही के पास यहां 1165 स्क्वायर फीट जमीन पर बना मकान है। इस जमीन की कीमत ही 20 लाख से अधिक है।
जबकि घर के अंदर से लेकर बाहर और दीवार से लेकर फर्श तक महंगी टाइल्स लगाई हैं। फर्श की डिजायनर टाइल्स को देख कर पुलिस की आंखें भी फटी रह गईं। सूत्रों का कहना है कि बिना काम-धंधे वाली माही के कमाई को कोई जरिया नहीं था। अंकित की तरह वह कई और लोगों को ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठती थी।
इन लोगों में शहर के कई नामी लोग भी शामिल हैं। वो अपनी सुंदरता से लोगों को रिझाती, फंसाती और फिर पैसा वसूलती थी। शांतिनगर स्थित घर के बारे में भी बताया जा रहा है कि जमीन खरीदने में उसकी एक बड़े आदमी ने मदद की। जिसके बाद घर बनाने के लिए किसी ने रेता दिया, किसी ने ईंट और किसी ने सरिया। ऐसे करके माही का अपना मकान बन गया। फिलहाल, अब खुफिया को माही की कुंडली खंगालने के लिए लगा दिया गया है।
मोहल्ले में अबूझ पहेली थी माही की जिंदगी
हल्द्वानी : माही पिछले करीब 3 साल से अधिक वक्त से शांतिनगर गोरापड़ाव में रह रही थी। इस इलाके में रहने वाले अधिकांश लोग सेवारत और सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी है।
इनके बड़े-बड़े मकान भी हैं, लेकिन पोस्टर जैसा दिखने वाला माही का मकान सबसे अलग है। वो दिन के अधिकांश वक्त घर में रहती थी और छत पर जाने से भी गुरेज करती थी। गुजरे सालों में मोहल्ले वालों ने कुछ ही बार माही को देखा। स्पष्ट शब्दों में समझा जाए तो तीन साल तक माही मोहल्ले वालों के लिए अबूझ पहेली थी और यही वजह थी वह मोहल्ले वालों के दिमाग में खटकती थी।
डॉली उर्फ माही नहीं, अब क्रिस्टियानो कहिए
हल्द्वानी : माही जब अपनी मां के साथ रहती थी, तब उसे लोग डॉली आर्या के नाम से जानते थे और जब वह मां से अलग हुई तो उसने अपना नाम भी बदल लिया। डॉली अब माही बन चुकी थी, लेकिन वो एक और नई पहचान की तलाश में थी।
ऐसी पहचान जो उसकी पुरानी सारी पहचान को छिपा दे। वह बड़े-बड़े लोगों के संपर्क में आ चुकी थी और नई पहचान बनाने के लिए लिए उसने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया। डॉली ऊर्फ माही ने हिंदू धर्म छोड़ कर क्रिश्चियन धर्म अपना लिया। धर्म बदलने के साथ ही पहले डॉली, फिर माही के बाद उसने अपना नाम क्रिस्टियानो रख लिया।