उत्तराखण्डकुमाऊं,गढ़वाल,

देहरादून- कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर सीएम धामी का बड़ा ऐलान: परमवीर चक्र विजेताओं को अब मिलेगा डेढ़ करोड़ रुपये अनुग्रह राशि

देहरादून न्यूज़– कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश और देशभर के सैनिकों को एक बड़ी सौगात दी है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि परमवीर चक्र विजेताओं को मिलने वाली अनुग्रह राशि को 50 लाख रुपये से बढ़ाकर अब डेढ़ करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसके साथ ही उन्हें वार्षिक अनुदान के रूप में तीन लाख रुपये की राशि भी मिलती रहेगी।

 

 

मुख्यमंत्री ने यह घोषणा खटीमा में आयोजित सैनिक सम्मान समारोह के दौरान की। यह समारोह सीएम धामी के पिता स्वर्गीय सूबेदार शेर सिंह धामी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक और उनके परिजन शामिल हुए।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड- यहाँ जन्मदिन की पार्टी मनाकर लौट रहे युवकों की कार खाई में गिरी, हादसे में एक की मौत, तीन घायल।

 

 

मुख्यमंत्री ने बताया कि जून 2022 से पहले परमवीर चक्र विजेताओं को मात्र 30 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मिलती थी। 10 जून 2022 को उत्तराखंड कैबिनेट ने इसे बढ़ाकर 50 लाख रुपये किया था और 14 जुलाई 2022 को इसका शासनादेश भी जारी हुआ था। अब एक बार फिर सीएम धामी ने यह राशि बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जिसे सैनिक कल्याण विभाग के प्रस्ताव पर उन्होंने स्वीकृति प्रदान कर दी है।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड- यहाँ गेहूं की चौकीदारी कर रहे ग्रामीण को बाघ ने बनाया अपना निवाला, बाघ के आतंक से ग्रामीणों में आक्रोश

 

 

मुख्यमंत्री धामी ने कहा,

> “हमारे देश की सीमाएं हमारे वीर सैनिकों के शौर्य, साहस और बलिदान के कारण सुरक्षित हैं। उत्तराखंड न केवल देवभूमि है, बल्कि वीरभूमि भी है। यहां के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह सैनिकों और उनके परिवारों के त्याग का सम्मान करे।”

 

यह भी पढ़ें 👉  एक पखवाड़े पूर्व बिंदुखत्ता से लापता हुए टुकटुक चालक का सुराग न मिलने से ग्रामीणों ने स्थानीय तहसील में दिया धरना, आयुक्त को भेजा ज्ञापन।

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार सैनिकों और उनके परिजनों के हितों की रक्षा के लिए लगातार ठोस और प्रभावी कदम उठा रही है। सैनिकों के कल्याण को लेकर सरकार की यह घोषणा एक मिसाल बनकर सामने आई है।

 

 

इस निर्णय को लेकर सैनिक वर्ग में विशेष खुशी और गर्व की लहर है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के फैसलों से न केवल सैनिकों का मनोबल बढ़ता है बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी देशसेवा की प्रेरणा मिलती है।