उत्तराखंड के स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण होंगे पाठ्यक्रम का हिस्सा, अगले सत्र से होगा लागू

देहरादून न्यूज़- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखंड के विद्यालयों में अब श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। राज्य की नई पाठ्यचर्या रूपरेखा के अनुरूप यह कदम अगले शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने इसकी जानकारी दी है।
डॉ. सती के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत छात्र-छात्राओं को भारतीय ज्ञान परंपरा एवं प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन कराया जाना है। इसके लिए विभिन्न कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों का निर्माण किया जा रहा है। 6 मई को मुख्यमंत्री धामी एवं शिक्षा मंत्री को राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा से अवगत कराया गया था, जहां मुख्यमंत्री ने गीता और रामायण को कोर्स में शामिल करने के निर्देश दिए।
शिक्षा निदेशक ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि यह जीवन प्रबंधन, मनोविज्ञान, कर्तव्यनिष्ठा और तनाव प्रबंधन के आधुनिक संदर्भों में भी अत्यंत प्रासंगिक है। यह छात्रों को श्रेष्ठ नागरिक बनाने में मार्गदर्शक की भूमिका निभा सकती है।
प्रदेश सरकार का यह निर्णय भारतीय मूल्यों और संस्कृति को शिक्षा से जोड़ने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। नई पाठ्यचर्या में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्रों को श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण का अध्ययन सहज, रोचक एवं प्रासंगिक रूप में कराया जाए।
