उत्तराखण्डकुमाऊं,गढ़वाल,

देहरादून- कैबिनेट में आएगा राज्य कर्मचारियों का यह मामला

देहरादूनः प्रदेश सरकार द्वारा राज्य कर्मचारियों के लिए चल रही राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एसजीएचएस) इस समय कठिन परिस्थितियों से गुजर रही है। स्थिति यह है कि इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा संबद्ध किए गए अस्पताल कार्मिकों को इलाज देने से कदम खींच रहे हैं। कारण, सरकार की इन अस्पतालों में लगभग 100 करोड़ से अधिक की देनदारी हो गई है। ऐसे में अब इस योजना को आगे चलाने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार चल रहा है। इसमें सबसे मुख्य कर्मचारियों के अंशदान को बढ़ाने का है। जल्द ही कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक कर योजना को संचालित करने वाला राज्य सरकार स्वास्थ्य प्राधिकरण इसकी रूपरेखा शासन को उपलब्ध कराएगा, जिसे कैबिनेट के सम्मुख प्रस्तुत किया जाएगा।

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प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए एसजीएचएस योजना लागू की है। इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारी व पेंशनर का गोल्डन कार्ड बनाया जाता है। इसके लिए उनके राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत अस्पताल खींच रहे इलाज से हाथ संबद्ध अस्पतालों में लगभग 100 करोड़ से अधिक की देनदारी हो गई है।

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वेतन के हिसाब से एक तय धनराशि अशंदान के रूप में स्वास्थ्य बीमा के लिए ली जाती है। इस कार्ड धारक के इलाज के दौरान अस्पताल में भर्ती होने पर सारा इलाज निश्शुल्क किया जाता है। इसका भुगतान प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता है। प्रदेश सरकार को कर्मचारियों के अंशदान के रूप में लगभग 500 करोड़ रुपये प्राप्त होते हैं। गत वर्ष सरकार को विभिन्न संबद्ध अस्पतालों से 600 करोड़ के बिल मिले, जिनमें से 100 करोड़ का भुगतान किया जाना शेष है। भुगतान न होने के कारण कई अस्पताल अब गोल्डन कार्ड धारकों का इलाज करने से कन्नी काट रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार इस योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है।

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