उत्तराखंड- कुत्ते-बिल्ली से लोगों की यारी, उत्तराखंड सरकार पर पड़ रही है, वजह कर देगी हैरान
लोगों का घरों में कुत्ते और बिल्ली पालने का शौक धामी सरकार पर भारी पड़ रहा है। कुमाऊं के हल्द्वानी शहर में ही हर महीने पालतू जानवरों द्वारा लोगों को काटने के हजारों मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे लोगों को निशुल्क एंटी रेबीज वैक्सीन लगाने पर सरकार लाखों रुपए खर्च कर रही है।
हल्द्वानी के सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल में रोजाना करीब 50 से ज्यादा लोग एंटी रेबीज की वैक्सीन लगवाने के लिए आ रहे हैं। अगर अस्पताल के आंकड़ों को ही लिया जाए तो हर महीने में 1500 से ज्यादा लोगों को जानवर काट रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा कुत्ते के कटे हुए लोग होते हैं। बिल्ली, बंदर, चूहा और घोड़े के काटे लोग भी आते हैं।
वही हैरानी की बात यह है कि वैक्सीन लगवाने के लिए पहुंच रहे लोगों में सबसे ज्यादा उनकी है जिन्हें उनके ही पालतू कुत्ते और बिल्ली ने काट रहे है। इन्हें किसी को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाती है। यहां वैक्सीन अगर बाजार से खरीद कर लगवाई जाए तो उसका खर्चा 1100 रुपये से ज्यादा आता है। बाजार के साथ देखें तो केवल हल्द्वानी में सरकार 16,50,000 रुपये के वैक्सीन लगाने में खर्च कर रही है। साल भर की बात करें तो यह आंकड़ा करीब 2 करोड़ तक पहुंचता है।
जानवरों के मर जाने पर लगती है बूस्टर डोज
अगर पालतू जानवर ने कटा होता है तो तीन और लावारिस जानवर के काटने पर चार एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाती है। काटने के बाद यदि कोई जानवर मर जाता है। तो पीड़ित व्यक्ति को 90 दिन बाद बूस्टर डोज लगती दी जाती है। वही बेस में पीड़ित बाल रोग विभाग में जाता है।
वही सीएमओ डॉक्टर भागीरथी जोशी ने बताया कि रेबीज की वैक्सीन सरकारी अस्पतालों में निशुल्क लगाई जाती है। वैक्सीन लगाने से पहले पीड़ित से पूरी जानकारी दी जाती है।