नैनीताल जिपं अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव विवाद: हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग से दो दिन में मांगा शपथपत्र, अगली सुनवाई 1 सितंबर को


नैनीताल न्यूज़- जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव में गड़बड़ी और पांच सदस्यों के कथित अपहरण को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए हैं कि चुनाव के दौरान हुई शिकायतों और गड़बड़ियों पर की गई कार्रवाई का विस्तृत शपथपत्र दो दिन के भीतर दाखिल करें। साथ ही कोर्ट ने सवाल किया कि जिन पांच सदस्यों ने मतदान नहीं किया, क्या उन्होंने इसकी अनुमति ली थी? मामले की अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने जिला पंचायत सदस्य पूनम बिष्ट की याचिका पर सुनवाई की। पूनम ने आरोप लगाया कि मतगणना के दौरान निरस्त मतपत्रों में छेड़छाड़ हुई। उनके अनुसार क्रमांक-1 में ओवरराइटिंग कर उसे क्रमांक-2 लिख दिया गया और मतपत्र को अमान्य घोषित कर दिया गया। बिना निर्धारित प्रक्रिया अपनाए आयोग ने परिणाम घोषित कर दिया। साथ ही यह भी सवाल उठाया गया कि पांच सदस्यों ने बिना अनुमति मतदान से दूरी बनाई, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
सुनवाई में सरकार की ओर से तर्क रखा गया कि याचिकाकर्ता अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं लड़ी थीं, इसलिए याचिका निरस्त होनी चाहिए। जबकि पूनम बिष्ट की ओर से कहा गया कि वह जिला पंचायत सदस्य हैं, इसलिए उन्हें चुनाव प्रक्रिया को चुनौती देने का अधिकार है।
इस दौरान आयोग की ओर से अधिवक्ता संजय भट्ट ने प्रेक्षक की रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि मतदान केंद्र के 100 मीटर दायरे में किसी भी तरह की गड़बड़ी या हिंसा की घटना नहीं हुई। प्रेक्षक की रिपोर्ट डीजीपी, डीएम और एसएसपी को भेजी गई थी। वहीं, अध्यक्ष प्रत्याशी पुष्पा नेगी की शिकायत पर जिलाधिकारी ने एसएसपी की रिपोर्ट के आधार पर विस्तृत रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को भेजी।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि आयोग की किसी भी रिपोर्ट में अपहरण या अपराध की पुष्टि नहीं है। मतदान दिवस पर अपहरण के आरोप लगे, लेकिन एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई। कोर्ट ने कहा कि पांच सदस्यों के बिना अनुमति मतदान से बाहर रहने पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या निर्वाचन आयोग शक्तिहीन है? हमारी चिंता यह है कि आयोग आखिर कर क्या रहा है।

