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2 साल से कम के बच्चों को सिरप ना पिलाएं’, ‘जानलेवा कफ सिरप’ पर सरकार की एडवाइजरी, जांच में क्लीन चिट

मध्यप्रदेश और राजस्थान में बीते दिनों कफ सिरप के सेवन से 12 बच्चों की मौत के मामले ने पूरे देश को हिला दिया है। इलाज के लिए दी जाने वाली दवा ही जब जहर बन जाए तो लोगों का भरोसा दवाइयों से उठना लाज़मी है। हालांकि, अब जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद स्थिति कुछ अलग दिखाई दे रही है।

 

 

सरकार ने बैच पर रोक लगाई, जांच रिपोर्ट आई क्लीन

बच्चों की मौत के बाद सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए संबंधित कफ सिरप के बैच पर रोक लगा दी थी और उन्हें जांच के लिए भेजा। दिल्ली स्थित सीडीएससीओ, पुणे का वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट और मप्र सरकार की प्रयोगशाला ने 9 सैंपल की जांच पूरी कर ली है। रिपोर्ट में किसी भी सैंपल को संदिग्ध नहीं पाया गया। अब राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) भी मामले की जांच कर रहा है।

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स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी जारी

मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों के लिए सिरप के इस्तेमाल पर एडवाइजरी जारी की है।

2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न दें।

5 साल से कम उम्र के बच्चों को भी सिरप देने से बचें।

5 साल से अधिक उम्र में भी दवा तभी दी जाए जब डॉक्टर सलाह दें।

बच्चों की खांसी-जुकाम ज्यादातर अपने आप ठीक हो जाती है, बिना दवा के घरेलू उपाय कारगर होते हैं।

डॉक्टर सिरप देने की बजाय भाप लेना, गुनगुना पानी पीना और आराम जैसे उपाय सुझाएं।

अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र केवल गुणवत्ता-प्रमाणित कंपनियों से ही दवाएं खरीदें।

 

 

छिंदवाड़ा में सबसे ज्यादा मौतें

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मप्र के छिंदवाड़ा जिले के परासिया ब्लॉक में सबसे ज्यादा 9 बच्चों की मौत दर्ज की गई है। यहां लगभग 1420 बच्चे सर्दी-जुकाम और बुखार से प्रभावित पाए गए हैं। जिन दवाओं पर शक जताया गया था—Coldrif (Chennai) और Nexa DS (Himachal में निर्मित)—उन्हें निजी प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों ने भी बच्चों को लिखा था।

 

 

पहला मामला 24 अगस्त को, मौतें सितंबर से शुरू

पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था, जबकि पहली मौत 7 सितंबर को हुई। उसके बाद से एक-एक कर मासूमों ने दम तोड़ा।

 

 

राजस्थान सरकार ने दी सफाई

राजस्थान के चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा कि मौतों से जुड़ी दवाएं किसी सरकारी डॉक्टर की लिखी हुई नहीं थीं। ये दवाएं परिजनों ने निजी स्तर पर बच्चों को दीं। उन्होंने बताया कि राज्य की लैब जांच में सभी सैंपल मानक पाए गए हैं।

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बड़ा सवाल: मौत की वजह क्या थी?

अब जबकि कफ सिरप को जांच में क्लीन चिट मिल गई है, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इन मासूमों की मौत का असली कारण क्या था? अभी तक न तो राज्य और न ही केंद्र सरकार के पास इसका स्पष्ट जवाब है। अधिकारियों का कहना है कि जांच जारी है और शुरुआती रिपोर्ट्स लगातार स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ साझा की जा रही हैं।

 

 

फिलहाल, देश की निगाहें इस जांच पर टिकी हैं कि क्या वजह थी जो बच्चों की जिंदगी ले गई। क्या यह सिलसिला यहीं थमेगा, या फिर किसी और मां की गोद उजड़ जाएगी?