उत्तराखण्डगढ़वाल,

उत्तराखंड में एक बार फिर डोली धरती, यहाँ महसूस किए भूकम्प के झटके, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.1 मापी गई,

राजधानी देहरादून में रविवार रात भूकंप से धरती डोल गई। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.1 मापी गई। भूकंप का केंद्र भी देहरादून बताया गया है, जो जमीन से लगभग पांच किलोमीटर नीचे था। प्रशासन आगामी तीन से चार दिन तक भूकंप की आशंका को लेकर निकट निगरानी करेगा।

 

राजधानी के कुछ इलाकों में ये भूकंप के झटके महसूस हुए थे। हालांकि, रात करीब 9.56 बजे आए भूकंप की तीव्रता काफी कम थी इसलिए इससे कहीं नुकसान नहीं हुआ। जिला आपदा कंट्रोल रूम को भी इसकी जानकारी नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी की वेबसाइट से ही मिली। इसके बाद जिला आपदा कंट्रोल रूम सक्रिय हुआ।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड- (जॉब अलर्ट) UKSSSC में डाटा एण्ट्री ऑपरेटर, कनिष्ठ सहायक, कार्यपर्यवेक्षक समेत कई पदों पर निकली भर्ती,

 

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ऋषभ कुमार ने बताया कि वेबसाइट पर पता चला है कि इसका केंद्र देहरादून में ही करीब पांच किलोमीटर नीचे है। इससे किसी प्रकार के नुकसान की बात नहीं है। कंट्रोल रूम से सभी तहसीलों को फोन किया गया था। कहीं से भी नुकसान की कोई सूचना नहीं है। कई जगह झटके महसूस नहीं किए गए। हालांकि तीन से चार दिन निकटता से निगरानी वाले रहेंगे। ऐसा होता है कि हल्का झटका आने के बाद इस दरम्यान बड़े झटके भी आ सकते हैं। इसके लिए सभी तंत्र को अलर्ट किया गया है।

यह भी पढ़ें 👉  हल्द्वानी -(अजब- गजब) यहाँ के अस्पताल में पड़ा छापा तो डॉक्टर ने लगा दी दौड़, मोबाइल, कार छोड़ क्लीनिक से भाग खड़ा हुआ डॉक्टर, जाने पूरा मामला।

 

उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से संवेदनशील राज्य है और यहां विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। उत्तराखंड भूकंप के अति संवेदनशील जोन पांच में आता है। जोन पांच में रुद्रप्रयाग जिले के अधिकांश भाग के साथ बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं। देहरादून व टिहरी जिले के कुछ क्षेत्र जोन चार में और कुछ क्षेत्र अति संवेदनशील जोन पांच में आते हैं।

यह भी पढ़ें 👉  नैनीताल हाईकोर्ट ने पीआरडी के 33 पदों पर भर्ती को दी हरी झंडी, 13 अक्टूबर को शुरू की गई थी भर्ती प्रक्रिया

 

हिमालयी क्षेत्र में इंडो-यूरेशियन प्लेट की टकराहट के चलते जमीन के भीतर से ऊर्जा बाहर निकलती रहती है। इस कारण भूकंप आते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अति संवेदनशील जोन पांच में भूगर्भ में तनाव की स्थिति लगातार बनी है। पिछले रिकॉर्ड के मुताबिक अति संवेदनशील जिलों में ही सबसे अधिक भूकंप रिकॉर्ड किए गए हैं।