नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर सियासी शतरंज: निर्दलीयों के हाथ में ‘मात’ की चाबी

नैनीताल न्यूज़– शतरंज के खेल में जहां राजा और वजीर की चालें अहम मानी जाती हैं, वहीं कई बार जीत-हार का फैसला एक प्यादा भी कर देता है। नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर बिछी सियासी बिसात में भी कुछ ऐसा ही नजारा है। यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर है, लेकिन ‘मात’ देने की कुंजी अब निर्दलीयों और बागियों के हाथ में आ गई है।
जिले में कुल 27 जिला पंचायत सीटों में से भाजपा सात और कांग्रेस सिर्फ दो सीटें जीत पाई है। बाकी 18 सीटों पर निर्दलीयों और बागियों ने कब्जा जमाया है। ऐसे में बहुमत न किसी के पास है और न ही कोई पार्टी अकेले अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच सकती है। नतीजे आने के साथ ही दोनों दलों ने निर्दलीयों को अपने पाले में लाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस चुनावी शतरंज में भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेता राजा, वजीर, हाथी, ऊंट और घोड़े की भूमिका में हैं, जबकि निर्दलीय और बागी सदस्य वे प्यादे हैं जो कभी भी पूरी बाजी पलट सकते हैं। अब तक चली चालों में कांग्रेस थोड़ी बढ़त में मानी जा रही है।
दीपा बनाम पुष्पा की जंग
अध्यक्ष पद के लिए भाजपा खेमे से दीपा दरम्वाल का नाम सबसे आगे है। देवलचौड़ से विजयी दीपा, निवर्तमान जिला पंचायत उपाध्यक्ष आनंद सिंह दर्मवाल की पत्नी हैं। वहीं कांग्रेस खेमे में सूपी से विजयी और रामगढ़ की पूर्व ब्लॉक प्रमुख पुष्पा नेगी को समर्थन देने की चर्चा है। पुष्पा, पूर्व प्रमुख लाखन सिंह नेगी की पत्नी हैं।
तोलिया दंपती का असर बरकरार
निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया भले ही इस बार चुनाव हार गई हों, लेकिन कुर्सी के लिए चल रही सियासी खींचतान में उनकी और उनके पति प्रमोद तोलिया की अहम भूमिका बनी हुई है। चुनाव परिणाम आने से पहले ही उन्होंने कई सदस्यों से संपर्क साध लिया था। सूत्रों के अनुसार, अब भी पांच से छह जिला पंचायत सदस्य उनके खेमे में हैं, जो परिणाम को किसी भी दिशा में मोड़ सकते हैं।
अब देखना होगा कि इस सियासी शतरंज में आखिरी ‘चेकमेट’ कौन देता है—भाजपा, कांग्रेस या फिर निर्दलीयों का कोई ‘प्यादा’ ही बाजी मार लेता है।

