उत्तराखंड- ब्रिटेन से लौटे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की घोषणा, बनाया जाएगा उत्तराखंड अप्रवासी प्रकोष्ठ
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विदेशों में रहने वाले उत्तराखंड के अप्रवासियों और सरकार के बीच सामंजस्य बनाने के लिए अलग से प्रकोष्ठ बनाया जाएगा। इस प्रकोष्ठ के माध्यम से अप्रवासियों के निवेश संबंधित प्रस्तावों पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी। ब्रिटेन के तीन दिवसीय दौरे से लौटकर मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की। शुक्रवार को नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री ने लंदन, बर्मिंघम में उद्यमियों के साथ हुई बैठक और निवेश के प्रस्तावों पर एमओयू की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि तीन दिनों तक चली बैठकों में 12,500 करोड़ के निवेश प्रस्तावों पर एमओयू किया गया। ब्रिटेन के पर्यटन मंत्री के साथ उत्तराखंड और ब्रिटेन के बीच पर्यटकों की आवाजाही बढ़ाने के लिए कार्ययोजना बनाने पर सहमति बनी है। राज्य में रोपवे निर्माण के लिए फ्रांस की पोमा कंपनी के साथ दो हजार करोड़ के निवेश का करार किया गया। साथ ही राज्य में देश का पहला रोपवे विनिर्माण पार्क विकसित करने प्रस्ताव दिया गया।
सीएम ने कहा कि इंग्लैंड स्थित भारतीय दूतावास में पर्यटन व्यवसाय से जुड़े उद्यमियों के साथ बैठक में उत्तराखंड में पर्यटन गतिविधियों में तेजी लाने की योजना पर चर्चा कर नई पर्यटन नीति की जानकारी दी गई। राज्य में विभिन्न स्थानों पर केबल कार परिवहन व्यवस्था, औली, दयारा बुग्याल और मुनस्यारी में शीतकालीन खेलों के लिए विंटर स्पोर्ट्स डेस्टीनेशन विकसित के लिए अमेरिका के केएन ग्रुप के साथ 4800 करोड़ रुपये के निवेश पर एमओयू किया गया। ब्रिटिश पार्लियामेंट के लार्ड मेयर व बर्मिंघम विश्वविद्यालय के कुलपति बिली मोरया ने उत्तराखंड में एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस विकसित करने पर सहमति जताई है।
सीएम ने कहा कि हीथ्रो एयरपोर्ट पर उत्तराखंड के प्रवासियों ने गर्मजोशी से उत्तराखंडी रीति रिवाजों और वाद्य यंत्रों से स्वागत किया। वह भाव-विभोर करने वाला पल था। शाम को लंदन में उत्तराखंड के प्रवासियों की ओर से सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। ऐसा लग रहा था कि वे लंदन में नहीं बल्कि उत्तराखंड के ही किसी शहर में अपने भाई-बहनों से मिल रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हर साल उत्तराखंड को अत्यधिक बारिश और बर्फबारी के कारण आपदाओं का सामना करना पड़ता है। इसको ध्यान में रखते हुए हम विकास का एक मॉडल तैयार कर रहे हैं। खासकर अमृत काल के लिए। हमारा मॉडल पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था को संतुलित करना है ताकि लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। धामी ने कहा कि हिमालय को सुरक्षित और संरक्षित रखना चाहिए। आपदा प्रबंधन पर विचार-मंथन के लिए नवंबर में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसमें बड़ी संख्या में संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे और कई पहलुओं पर चर्चा करेंगे।