19 साल के लड़के की करामात, देहरादून निवासी से ठगे 2.27 करोड़, STF ने जयपुर से किया गिरफ्तार
उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को बड़ी कामयाबी मिली है। पुलिस ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के एक मामले में जयपुर से एक युवक को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने देहरादून निवासी व्यक्ति से कथित तौर पर 2.27 करोड़ रुपये की ठगी की थी।
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह ने सोमवार को बताया कि 19 साल के युवक को शनिवार को जयपुर से गिरफ्तार किया गया। नीरज भट्ट धोखाधड़ी का मुख्य आरोपी है।
9 सितंबर को किया था कॉल
पुलिस के मुताबिक, नीरज एक साइबर अपराधी गिरोह का सदस्य है। वह कथित तौर पर खुद को मुंबई पुलिस के साइबर अपराध विभाग का अधिकारी बताता है। एसएसपी ने बताया कि देहरादून के निरंजनपुर इलाके में रहने वाले पीड़ित ने कुछ दिन पहले इस मामले की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में पीड़ित ने बताया कि 9 सितंबर को उसे एक व्हाट्सएप वीडियो कॉल आया, जिसमें पुलिस की वर्दी पहने एक व्यक्ति ने उसे बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। वीडियो कॉल करने वाले ने दावा किया कि उसके बैंक खाते से मनी लॉन्ड्रिंग की गई है।
किसी को बताया तो जेल जाओगे
पीड़ित ने बताया कि कॉल करने वाले ने उसे यह भी चेतावनी दी कि वह अपनी जानकारी किसी के साथ शेयर न करे। अगर उसने ऐसा किया तो उसे जेल जाना पड़ सकता है और जुर्माना भी देना पड़ सकता है। पीड़ित ने बताया कि जब उसने कॉल करने वाले से इस केस से बाहर निकलने का अनुरोध किया तो साइबर जालसाज ने उसे अपने उच्च अधिकारियों से इस बारे में बात करने को कहा। पीड़ित को इस दौरान कहीं बाहर न जाने को कहा गया। कॉल करने वाले ने उससे अपना नाम क्लीयर करने के लिए पैसे ट्रांसफर करने को भी कहा।
पैसे वापस नहीं आने पर धोखाधड़ी का अहसास
पीड़ित से कहा गया कि एक-दो दिन में पैसे वापस आ जाएंगे। जालसाज ने यह भी बताया कि पीड़ित के खातों पर हर समय नजर रखी जा रही है। पीड़ित ने बताया कि उसे धोखाधड़ी का एहसास तब हुआ जब उनके द्वारा ट्रांसफर किए पैसे वादे के मुताबिक वापस नहीं आए, बल्कि उनसे और पैसे भेजने के लिए कहा गया। पीड़ित ने अपनी शिकायत में कहा कि तब तक वह 2.25 करोड़ रुपये से अधिक रकम ट्रांसफर कर चुके थे। एसएसपी ने कहा कि पुलिस ने घटना में इस्तेमाल किए गए खातों और मोबाइल नंबरों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए संबंधित बैंकों और सर्विस प्रोवाइडर्स की मदद ली। उन्होंने कहा कि डेटा विश्लेषण, तकनीकी और डिजिटल सबूत के जरिए घटना में शामिल मुख्य आरोपी की पहचान की गई।