उत्तराखण्डकुमाऊं,

बिंदुखत्ता विवाद पर केंद्र की सख्ती: जनजाति मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार को पत्र, हजारों लंबित वनाधिकार दावों के शीघ्र निस्तारण के निर्देश

लालकुआं न्यूज़- बिंदुखत्ता राजस्व गांव को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत वन अधिकार समिति की शिकायत पर केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। जनजाति मंत्रालय, भारत सरकार ने उत्तराखंड में वन अधिकार अधिनियम–2006 (FRA) के बेहद धीमे क्रियान्वयन पर असंतोष व्यक्त करते हुए राज्य सरकार को कड़े निर्देश जारी किए हैं।

 

 

वन अधिकार समिति द्वारा 15 अक्टूबर 2025 को भेजे गए अभ्यावेदन के जवाब में मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखकर एसडीएलसी (उप-जिला स्तरीय समिति) और डीएलसी (जिला स्तरीय समिति) स्तर पर FRA की वर्तमान स्थिति की तत्काल समीक्षा करने, तथा हजारों लंबित व्यक्तिगत एवं सामुदायिक दावों के शीघ्र निस्तारण को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

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मंत्रालय के अवर सचिव तजिंदर सिंह बल द्वारा 18 नवंबर 2025 को जारी पत्र में कहा गया है कि FRA लागू होने के 19 साल बाद भी उत्तराखंड में अब तक केवल 185 दावों का निपटारा किया गया है और सिर्फ 6 वन ग्रामों को ही राजस्व ग्राम का दर्जा मिल पाया है। पत्र में यह भी उल्लेख है कि अन्य राज्यों में लगभग 26 लाख दावे स्वीकार किए जा चुके हैं, ऐसे में उत्तराखंड की प्रगति चिंताजनक मानी जा रही है।

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मंत्रालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि —

एसडीएलसी और डीएलसी स्तर पर लंबित दावों की समीक्षा की जाए

बिंदुखत्ता समेत सभी क्षेत्रों के व्यक्तिगत और सामुदायिक दावे प्राथमिकता के आधार पर निपटाए जाएं

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पूरी अद्यतन प्रगति प्रतिवेदन जल्द से जल्द मंत्रालय को भेजा जाए

 

वन अधिकार समिति ने केंद्र की इस कार्रवाई को “बिंदुखत्ता के वनाधिकार संघर्ष की महत्वपूर्ण उपलब्धि” बताया है, वहीं ग्रामीणों ने उम्मीद जताई है कि अब आंदोलन को न्याय मिलेगा और बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम घोषित करने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।