उत्तराखण्डगढ़वाल,

देहरादून- 574 करोड़ की चपत, उत्तराखंड में आपस में क्यों भिड़ गए दो सरकारी विभाग? जाने वजह

सिचाई विभाग को जल कर (वाटर टैक्स) के 1494 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करने पर देहरादून तहसील ने उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) की 574 करोड़ रुपये की आरसी काट दी। यूजेवीएनएल ने इस स्थिति के लिए यूपीसीएल को जिम्मेदार ठहराया है।

प्रदेश में यूपीसीएल जनता से बिजली के बिल के साथ जल कर,सेस व रॉयल्टी भी वसूल करता है। इसके बाद बिजली खरीद के एवज में यूपीसीएल, यूजेवीएनएल को भुगतान करता है। इसी पैसे में से यूजेवीएनएल जल कर के रूप में सिंचाई विभाग को पैसे चुकाता है। बीते कुछ वर्षों से यूपीसीएल, यूजेवीएनएल को भुगतान नहीं कर रहा है। यूपीसीएल की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि उसे पिछले 25 साल से ग्रॉस फिक्स एसेट का पैसा नहीं दिया जा रहा है। यह रकम बढ़कर अब 5183 करोड़ रुपये हो गई है।

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यूपीसीएल का कहना है कि सरकार न तो यह रकम हमारी देनदारियों में एडजस्ट कर रही है और न ही हमें इसकी वसूली जनता से करने दे रही है। ये पैसा नहीं मिलने से यूपीसीएल का घाटा बढ़ रहा है और वो भुगतान की स्थिति में नहीं है। यूपीसीएल की मांग है कि उसे जो पैसा फ्री बिजली, जल कर, सेस व राॅयल्टी के रूप में देना है, वह ग्रॉस फिक्स एसेट के 5183 करोड़ रुपये में एडजस्ट कर दिया जाए।

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इसी गतिरोध के बीच जल कर के 1494 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान सिंचाई विभाग काे न होने पर यूजेवीएनएल की आरसी काट दी गई है। इससे यूजेवीएनएल के खाते फ्रीज होने का खतरा पैदा हो गया है। ऐसा हुआ तो यूजेवीएनएल अपने पावर हाउसों का संचालन करने की स्थिति में नहीं रहेगा। इससे उत्तराखंड को बिजली उत्पादन में प्रतिदिन 14 मिलियन यूनिट का नुकसान होगा। इस घाटे को यदि रुपये में जोड़ा जाए ताे यह 25 करोड़ रुपये रोज से ज्यादा बैठेगा।

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मौजूदा समय में बिजली की मांग 45 से 50 मिलियन यूनिट के करीब है। इसमें अकेले यूजेवीएनएल ही 13 से 15 मिलियन यूनिट के करीब बिजली सप्लाई कर रहा है। शेष बिजली केंद्र सरकार और अन्य माध्यमों से ली जा रही है। इन हालात में यदि अचानक यूजेवीएनएल का उत्पादन ठप हो जाता है, तो राज्य में बिजली का गंभीर संकट खड़ा हो जाएगा। एक बड़े क्षेत्र में ब्लैक आउट की स्थिति पैदा हो जाएगी।