यहाँ आयुष्मान योजना के बिलों में मिली गड़बड़ी, 250 अस्पतालों को हुआ नोटिस जारी
उत्तराखंड के राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में आयुष्मान योजना के तहत मुक्त इलाज की सुविधा देने वाले विभिन्न सरकारी निजी अस्पतालों के बिलों में 29 तरह की गड़बड़ियां पकड़ी हैं, और साथ ही उत्तराखंड में सूचीबद्ध करीब 250 अस्पतालों को त्रुटियां ठीक कर दावे प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी कर दिए हैं। ऐसा नहीं किए जाने पर उनके क्लेम अटक जाएंगे।
वही स्वास्थ्य प्राधिकरण के निदेशक क्लेम मैनेजमेंट डॉक्टर वीएस टोलिया की ओर से यह नोटिस जारी किया गया है। ऐसे बिलों को भुगतान से पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंट के जरिए जांच-परखा जाता है। त्रुटियां पाए जाने पर ऐसे प्रकरण ‘स्टेट एंटी फ्रॉड यूनिट’ पर दिखाई देते हैं। दून अस्पताल में आयुष्मान के नोडल डॉक्टर धनंजय डोभाल ने बताया कि जो बिंदु बताए गए हैं, उन पर कार्मिकों की बैठक बुलाकर सुधार को कहा गया है। सभी विभागों के लिए अलग से नोटिस जारी किए गए हैं।
इन त्रुटियों को गिनाया और सुझाव भी दिए–
1- मरीज के सामान्य मामलों में 5 दिन में अनुमति दी जानी चाहिए। एक्सरे की फिल्म-रिपोर्ट अटैच नहीं की जा रही है। रिपोर्ट और डॉक्टर के नोट्स रोज दिए जाएं।
2- आईसीयू से सीधे डिस्चार्ज नहीं किया जा सकता। महीना में मरीज को दो बार भर्ती करने का स्पष्ट कारण देना होगा। इंप्लांट निकालने के मामले में पूर्व की सर्जरी का ब्योरा दिया जाएगा।
3- डायलिसिस कीमो और केटरेक्ट के अलावा परिवार के सदस्यों के एक साथ बीमारी के इलाज पर वजह बतानी होगी। फ्री और पोस्ट क्लेम स्वयं पर किया जाएगा।
4- यूरोलॉजी के केस में यूरीन रिपोर्ट अनिवार्य है। डे- केयर प्रोसिजर के केस डिस्चार्ज से 30 दिन में निस्तारित किए जाएं। कई मामलों में एक ही पिक्चर- दस्तावेज प्रयोग किया जा रहे हैं। मोतियाबिंद के ऑपरेशन में 35 की उम्र से पहले करने पर स्पष्ट कारण देना होगा।
5- एन्जियोप्लास्टी मैं दो दिन से ज्यादा भर्ती किए जाने पर मामला संदिग्ध माना जाएगा और कई मामलों में एडमिशन एम प्रोसिजर की तारीख सामान दर्शाई जा रही है।
6- 24 घंटे से पहले मरीज डिस्चार्ज ना किया जाए। सरकारी निजी अस्पताल में प्रोसिजर करने वाले डॉक्टर का नाम और पंजीकरण नंबर एक जैसा मिल रहा है।