दून में CBSE कार्यालय अधीक्षक भर्ती परीक्षा में नकल गिरोह का पर्दाफाश, साल्वर युवक ने पैसों के लिए अपनाया था शार्टकट

- अभ्यर्थी के स्थान पर अन्य से दिलवाई जा रही थी परीक्षा, सरगना समेत दो गिरफ्तार
- 10 लाख रुपये में हुआ था सौदा, बायोमीट्रिक मेल न खाने पर पकड़ में आया मामला
देहरादून न्यूज़- सेंट्रल बोर्ड आफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) की कार्यालय अधीक्षक (सुप्रीटेंडेंट) एवं जूनियर सहायक की भर्ती परीक्षा में अंतरराज्यीय नकल गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। देहरादून स्थित केंद्रीय विद्यालय ओएनजीसी में बनाए गए केंद्र में एक अभ्यर्थी के स्थान पर किसी अन्य से परीक्षा दिलवाई जा रही थी। बायोमीट्रिक मेल न खाने पर मामला पकड़ में आया।
पुलिस ने गिरोह के सरगना और साल्वर को गिरफ्तार किया है। सरगना ने 10 लाख रुपये में अभ्यर्थी को पास कराने की गारंटी ली थी। पुलिस अब अभ्यर्थी की तलाश कर रही है। केंद्रीय विद्यालय ओएनजीसी में बने परीक्षा केंद्र के अधीक्षक जयकृष्ण ने कैंट कोतवाली में शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि रविवार शाम चार बजे वाली पाली में सीबीएसई की टीम पहुंची थी।
टीम ने किसी संदिग्ध के परीक्षा में शामिल होने की बात कही। शक के आधार पर गौतम कुमार पासवान नाम के अभ्यर्थी के अभिलेखों और बायोमीट्रिक का मिलान किया गया तो गड़बड़ी की पुष्टि हो गई। इस नाम से जो अभ्यर्थी परीक्षा में बैठा था उसने अपना नाम आयुष कुमार पाठक नौहटा, जिला रोहतास, बिहार बताया। साथ ही गौतम के स्थान पर परीक्षा देने की बात भी स्वीकार की। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर उसे हिरासत में ले लिया। वह इन दिनों रेनूकूट जिला सोनभद्र उत्तर प्रदेश में रहता है।
उसने बताया कि उसे राजगीर नालंदा बिहार निवासी प्रणव कुमार उपाध्याय ने तीन लाख रुपये देने की बात कहकर परीक्षा में बैठाया था। बाद में पुलिस ने गिरोह के सरगना प्रणव कुमार को कौलागढ़ क्षेत्र से एक होटल के बाहर से गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि गिरोह ने केंद्रीय भर्ती परीक्षाओं में ही अपने साल्वर को भेजने की बात कही है। पुलिस अब इन संस्थानों से पत्राचार कर रही है।
एसएससी की तैयारी में जुटा था दूसरों को पास कराने वाला आयुष अंतरराज्यीय नकल गिरोह के सदस्य आयुष कुमार पाठक को शार्टकट से पैसे कमाने का ऐसा चस्का लगा कि वह अपनी एसएससी की तैयारी छोड़ दूसरों को पास कराने के लिए परीक्षा देने लगा। एक ही परीक्षा के दो से तीन लाख रुपये पाकर उसे अपनी नौकरी की चिंता नहीं रही और वह गिरोह के सरगना का पसंदीदा साल्वर बन गया। पैसे कमाने का यह नशा दून में आकर उतर गया। उसका भांडा फूटने से अब इस होनहार युवक का भविष्य अंधकार में है।
