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आये जानते है कि बिच्छू जन्म लेते ही आखिर अपनी मां को क्यों खा जाता है, जाने

आपने देखा होगा कि बिच्छू अक्सर अपना डेरा ईंटों या पत्थरों के नीचे बनाते हैं ! ये काले, मिट्टी के रंग या गहरे भूरे और भूरे रंग के होते हैं ! इनका शरीर लम्बा और संकीर्ण होता है और दो भागों ‘सेफलोथोरैक्स’ और ‘पेट’ में विभाजित होता है !

आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया भर में बिच्छुओं की 2,000 से भी ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं ! बिच्छू लगभग 20°C से 37°C के तापमान के बीच रहना पसंद करता है ! लेकिन वे जमा देने वाली ठंड और झुलसा देने वाली गर्मी को आसानी से सहन कर सकते हैं !

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बिच्छू आमतौर पर छोटे कीड़ों का शिकार करते हैं ! शिकार करते समय, बिच्छू अपने डंक के माध्यम से अपना जहर शिकार के शरीर में छोड़ देते हैं ! यह अपने शिकार को पंगु बना देता है और फिर उसे जिंदा ही खा जाता है ! इसके अलावा अगर हम मादा बिच्छू की बात करें तो एक मादा बिच्छू एक बार में लगभग 100 बच्चों को जन्म देती है, जो बाद में उन्हें खा जाते हैं !

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जी हाँ, आप सही सुन रहे हैं, जैसे ही मादा बिच्छू के बच्चे होते हैं, वह उन्हें अपनी पीठ पर लादकर सुरक्षित स्थान पर ले जाती है और वे तब तक उसकी पीठ पर बैठी रहती हैं जब तक कि वे उसे खाकर खोखला न कर दें ऐसा मत करो !

दरअसल कहा जाता है कि बिच्छू के बच्चे पैदा होते ही अपनी मां की पीठ से चिपक जाते हैं ! इसके बाद मां का शरीर ही उन बच्चों के लिए भोजन बन जाता है ! मादा बिच्छू के बच्चे तब तक अपनी माँ की पीठ से चिपके रहते हैं !

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जब तक मादा बिच्छू मर नहीं जाती ! जब तक उसके शरीर का सारा मांस ख़त्म नहीं हो जाता और मादा बिच्छू मर नहीं जाती, तब तक उसके बच्चे उसकी पीठ से नहीं उतरते ! मादा बिच्छू की मृत्यु के बाद उसके बच्चे स्वतंत्र रूप से रहते हैं।